MQ-9B Drone
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
विस्तार
जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच हुई द्विपक्षीय बातचीत में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इन्हीं में से एक ‘सामान’ ऐसा भी है, जिसके जरिए जल, थल और वायु सीमा में दो पड़ोसी मुल्कों, चीन और पाकिस्तान की ‘नस’ दबाई जा सकेगी। सीमा पर आए दिन इन दोनों देशों की हरकतें देखने को मिलती हैं। खासकर लद्दाख सीमा पर, चीन की घुसपैठ की खबरें आती रहती हैं, तो वहीं कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद। लद्दाख व दूसरे सीमा क्षेत्रों में चीन ने भारत की ‘मिलिट्री पोजीशन’ का पता लगाने व ‘स्नूपिंग’ के लिए 72 मिलिट्री सैटेलाइट छोड़ रखे हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे ड्रोन की उपस्थिति बताई गई है, जिन्हें बिना दूरबीन के देखना संभव नहीं होता। भारत और अमेरिका के बीच आगे बढ़ रहा ‘एमक्यू-9बी’ हंटर किलर ड्रोन खरीद का सौदा, चीन और पाकिस्तान को बॉर्डर एरिया में मुंहतोड़ जवाब देगा। बॉर्डर एरिया में ‘मिलिट्री पॉजिशन’ में सेंध व ‘स्नूपिंग’ जैसी हरकतों पर दोनों पड़ोसी मुल्कों की सांस अटक जाएंगी।
कब तक मिलेंगे 31 हंटर किलर ड्रोन
पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के बीच द्विपक्षीय वार्ता से पहले भारत ने अमेरिका को एमक्यू-9बी हंटर किलर ड्रोन की खरीद के लिए लेटर ऑफ रिक्वेस्ट (एलओआर) भेजा है। रक्षा मंत्रालय के विस्तृत एलओआर में हथियार पैकेज, मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम और दूसरे तकनीकी उपकरण शामिल हैं। अब अमेरिकी सरकार द्वारा अपने ‘विदेशी सैन्य बिक्री’ कार्यक्रम के अंतर्गत संभावित लागत और अपेक्षित अधिसूचना के साथ ‘लेटर ऑफ रिक्वेस्ट’ प्रस्ताव एवं और स्वीकृति पत्र बाबत दो-तीन माह में जवाब दिया जाएगा। रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम वाले 31 हंटर किलर ड्रोन मिलने के बाद भारत की सैन्य क्षमता में काफी इजाफा होगा। हालांकि सभी 31 हंटर किलर ड्रोन मिलने में पांच से सात वर्ष का समय लग सकता है।
चीन और पाकिस्तान, दोनों को मिलेगा करारा जवाब
इंडियन स्पेस एसोसिएशन के डीजी ले. जनरल (रि) एके भट्ट ने कई माह पहले बॉर्डरमैन एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक सेमीनार में कहा था कि चीन से लगती सीमा पर भी बड़ी संख्या में ऐसे ड्रोन की उपस्थिति बताई गई है, जिन्हें बिना दूरबीन के देखना संभव नहीं होता। बॉर्डर पर दुश्मन के ‘ड्रोन’ का मुकाबला करने के लिए भारत को भी वैसी ही उन्नत तकनीक इस्तेमाल करनी होगी। चीन द्वारा मिलिट्री पोजीशन, स्नूपिंग या आतंकियों की मदद में ड्रोन की मदद ली जा रही है। इसके अलावा चीन अपने मिलिट्री ड्रोन के जरिए जल, थल और वायु क्षेत्र में सटीक सर्विलांस करता है। दूसरा, चीन द्वारा पाकिस्तान को भी काई होंग-4 और विंग लूंग-11 जैसे ड्रोन की आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान भी सीमा पर हरकतें कर रहा है। आतंकियों को भारतीय सीमा में धकेला जा रहा है। भारतीय नौसेना को 15 ‘एमक्यू-9बी हंटर’ किलर ड्रोन और वायु सेना व थल सेना को आठ-आठ ड्रोन मुहैया कराए जाएंगे।
हिमालयी सीमा क्षेत्रों में भारतीय सेना को मिलेगी मदद
‘एमक्यू-9बी हंटर’ किलर ड्रोन, रीपर का एक ही वैरिएंट है। अमेरिका ने काबुल में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी को मारने वाली हेलफायर मिसाइल के संशोधित संस्करण को लॉन्च करने के लिए ‘एमक्यू-9बी हंटर’ का इस्तेमाल किया था। इस ड्रोन के दो वैरिएंट, ‘स्काई-गार्जियन’ और ‘सिबलिंग सी-गार्जियन’ हैं। यह ड्रोन, 40,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर लगभग 35 घंटे तक उड़ सकता है। इसके माध्यम से करीब 2000 किलोमीटर इलाके की निगरानी करना संभव है। यह खतरनाक ड्रोन अपने इलेक्ट्रिक सेंसर की मदद से दुश्मन की पहचान कर सकता है। इसमें मिसाइल दागने का सिस्टम भी लगा रहता है। अगर एक बार ड्रोन का टारगेट लॉक हो जाता है, तो वह दुश्मन को खत्म करने के बाद ही खुलता है। इस ड्रोन की मदद से सेना को हिमालयी सीमा क्षेत्रों में निगरानी करने में मदद मिलेगी। ड्रोन में स्वचालित टेक-ऑफ, लैंडिंग, डिटेक्ट एंड एवॉइड सिस्टम, एंटी-स्पूफिंग जीपीएस और एन्क्रिप्टेड संचार लिंक जैसा हाईटेक तकनीकी सिस्टम लगा है।
‘एमक्यू-9बी हंटर’ से कहां पर कैसे मिलेगी मदद
लद्दाख और अरूणाचल प्रदेश में चीन की घुसपैठ पर नकेल कसने में यह ड्रोन कारगर साबित होगा। इस ड्रोन के माध्यम से भारतीय सेना की समुद्री सीमाओं की सटीक निगरानी एवं स्ट्राइक क्षमता में वृद्धि होगी। चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पनडुब्बियों और युद्धपोतों की सख्यां बढ़ा दी है। समुद्र में ट्रेड लाइन पर भी चीन निगरानी रख रहा है। ऐसे में भारत के लिए अपने समुद्री रूट की रक्षा करना, किसी चुनौती से कम नहीं है। जब नौसेना को पर्याप्त संख्या में ‘एमक्यू-9बी हंटर’ मिलेंगे, तो न केवल चीन की हरकत पर अंकुश लगेगा, बल्कि खुद की मारक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। भारत को लंबे क्षेत्र की निगरानी और सटीक हमला करने में ये ड्रोन खासी मदद करेंगे। मौजूदा समय में यह ड्रोन केवल इस्राइल और अमेरिका के पास है। चूंकि यह ड्रोन करीब 2800 किलोग्राम की मिसाइलों को लेकर 40 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है, इसलिए दुश्मन की सेना इस ड्रोन को आसानी से पकड़ नहीं पाती है। इसके माध्यम से जमीन पर मिसाइल अटैक के अलावा दुश्मन की पंडुब्बियों को खोजकर नष्ट किया जा सकता है। यह ड्रोन, बारुदी सुरंगों तक का पता लगा सकता है।