1. 2011 वर्ल्ड कप
2011 के वर्ल्ड कप के दौरान धोनी लय में नहीं थे, लेकिन फाइनल मुकाबले में वो युवराज सिंह से पहले नंबर पांच पर बल्लेबाजी करने उतरे। जबकि युवराज ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान बेहतरीन खेल दिखाया था। धोनी का यह फैसला सही साबित हुआ। भारतीय कप्तान ने 79 गेंदों पर नाबाद 91 रन बनाए जिसमें आठ चौके और दो छक्के शामिल थे। धोनी ने दबाव में बेहतरीन पारी खेली और भारतीय टीम को 275 रन के लक्ष्य तक पहुंचाकर विश्व चैंपियन बनाया। हाल फिलहाल में श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन से जब पूछा गया कि क्या युवराज से पहले धोनी के आने का फैसला सही था तो उन्होंने कहा बिल्कुल सही था और यह बात उन्हें पता थी। मुरलीधरन ने कहा- मैं जानता था कि धोनी आएंगे, क्योंकि युवराज का रिकॉर्ड मेरे खिलाफ खराब रहा है। वहीं, धोनी ने आईपीएल नेट्स में मुझे कई बार खेला था।
2. 2007 वर्ल्ड कप
भारत ने 2007 विश्व टी-20 के फाइनल में पाकिस्तान को 158 रन का लक्ष्य दिया था। पाकिस्तान को आखिरी ओवर में जीत के लिए 13 रन की दकरकार थी और धोनी ने जोगिंदर शर्मा के हाथों में गेंद सौंप दी। जोगिंदर शर्मा ने कमाल दिखाते हुए मिस्बाह-उल-हक का विकेट चटकाकर लक्ष्य का बचाव किया। भारत पांच रन से फाइनल जीत टी-20 का पहला विश्व चैंपियन बना था। अनुभवहीन शर्मा पर भरोसा करने का धोनी का निर्णय एक मास्टरस्ट्रोक था। पाकिस्तान को यह हार आज तक परेशान करती है।
3. रोहित शर्मा से ओपनिंग बैटिंग
रोहित शर्मा वनडे में मध्यक्रम में खेलते हुए लगातार असफल हो रहे थे। धोनी ने उन्हें सलामी बल्लेबाज के रूप में उतारा और उसके बाद तो रोहित ने बतौर ओपनर तूफान ही मचा दिया। रोहित ने अपने वनडे करियर में तीन दोहरे शतक लगाए हैं और यह उपलब्धि हासिल करने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं। रोहित ने इंग्लैंड में खेले गए 2013 के चैंपिंयस ट्रॉफी से ओपनिंग की कमान संभाली और तब से अपने बल्ले से धूम मचा रहे हैं। अपनी शानदार बैटिंग और भरोसे के दम पर ही आज रोहित टीम इंडिया के कप्तान हैं।
4. विजय, जडेजा, रैना और धवन के रूप में चार हीरे
मुरली विजय, रवींद्र जडेजा और सुरेश रैना के शुरुआती दिनों में खराब प्रदर्शन के बावजूद भी धोनी ने इन खिलाड़ियों को बैक किया और भरोसा जताया। तीनों ही खिलाड़ियों ने धोनी की उम्मीद पर पानी नहीं फेरा। विजय ने टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज के रूप में खुद को साबित किया और खूब रन बनाए। वहीं, रैना काफी समय तक भारतीय मध्यक्रम का अहम हिस्सा रहे। जडेजा अब तीनों प्रारूपों में भारतीय टीम का एक अहम हिस्सा हैं। वह मौजूदा समय में टीम इंडिया के बेस्ट फील्डर भी हैं। उनकी मैच फिटनेस देखने लायक होती है। वहीं, धवन के करियर में एक ऐसा समय आया था जब वह रन नहीं बना पा रहे थे। हालांकि, इसके बाद भी धोनी ने उन्हें बैक किया और उनका बल्ला चला। धवन कई बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चमकने का श्रेय धोनी को दे चुके हैं।