मुंबई पुलिस (फाइल)
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वैसे तो शराब के सिर्फ नुकसान ही नुकसान हैं, लेकिन शराब के नुकसान का एक अनोखा मामला महाराष्ट्र से सामने आया है, जिससे पुलिस को फायदा हो गया। दरअसल, पिछले तीस सालों से फरार दोहरे हत्या के एक आरोपी ने खुद ही पुलिस के सामने शुक्रवार को अपना भेद खोल दिया।
पहले पढ़िए, क्या हुआ था 30 साल पहले
कहानी 30 साल पुरानी सन् 1993 की है। आरोपी अविनाश पवार (49) उस वक्त 19 साल का था। अविनाश की बेकरी के बगल में एक बुजुर्ग दंपती का घर था। एक दिन आरोपी ने दो लोगों के साथ मिलकर बुजुर्ग के घर को लूटने की योजना बनाई। रात में तीनों चोरी करने घर में घुसे लेकिन इस दौरान बुजुर्ग दंपती ने उन्हें देख लिया, जिससे दोनों पक्षों के बीच छीना-झपटी शुरू हो गई। इस वजह से अविनाश ने दोनों बुजुर्ग को चाकू मार दिया, जिससे बुजुर्ग दंपती धनराज थकारसी कुरवा (55) और उनकी पत्नी धनलक्ष्मी (50) की मौत हो गई। यह देख तीनों घबरा गए और वहां से भाग गए। जांच के दौरान पुलिस ने दो आरोपियों को तो पकड़ लिया लेकिन अविनाश पुलिस को चकमा देने में सफल हो गया।
ऐसे पकड़ाया आरोपी
डीसीपी राज तिलक रोशन ने बताया कि आरोपी 1993 से फरार था। अब उसे लगने लगा था कि वह अब पकड़ा नहीं जाएगा। इसलिए अतिआत्मविश्वास और शराब के नशे में उसने पूरी कहानी एक आदमी को बता दी। उस व्यक्ति ने मुंबई क्राइम ब्रांच के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक को यह जानकारी दे दी, जिसके बाद पुलिस ने विख्रोली से पवार को गिरफ्तार कर लिया।
30 सालों तक ऐसे दिया चकमा
मामले की जानकारी देते हुए डीसीपी रोशन ने बताया कि हत्या के बाद अविनाश वहां से भागकर सीधा दिल्ली चला गया। पवार ने लोनावला में रह रही अपनी मां को भी वहीं छोड़ दिया। कुछ सालों बाद वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद (अब संभाजीनगर) आ गया। यहां उसने अमित पवार के नाम से एक फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया। औरंगाबाद के बाद पवार पिंपरी-चिंचवाढ़ और अहमदनगर में भी छिपकर रहा था। इसी दौरान उसने शादी भी की और अपनी पत्नी के साथ विख्रोली रहने लगा। फर्जी नाम से पवार ने आधार कार्ड भी बनवा लिया था। हत्या के बाद से वह कभी लोनावला नहीं आया, जहां उसकी मां रहती है और न ही वह अपनी मां से दोबारा मिला।