महेश चंद्र का फाइल फोटो
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बरेली के मानसिक अस्पताल में कर्मचारी महेश चंद्र की हत्या की गुत्थी सवा साल बाद भी सुलझ नहीं सकी है। हत्या कर शव जलाने की घटना सघन सुरक्षा वाले स्थान स्टोर रूम के पास दिन में हुई थी। सीसीटीवी कैमरे कुछ घंटों के लिए बंद मिले थे। सुसाइड नोट ने आत्महत्या की दिशा दी, मगर पोस्टमार्टम में गला दबाकर हत्या की पुष्टि ने पेच फंसा दिया। पुलिस ने स्टाफ और अधिकारियों से लेकर पोस्टमार्टम टीम तक 82 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। कई नंबरों को सर्विलांस पर लगाकर भी तार जोड़ने की कोशिश की। सफलता अब तक हाथ नहीं लगी।
सीबीगंज के जौहरपुर निवासी महेश मानसिक चिकित्सालय में अटेंडेंट के पद पर थे। अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए ड्रेस सिलने का काम भी करते थे। 19 अप्रैल 2022 को महेश चंद्र का शव स्टोर रूम के पास जली अवस्था में मिला। बाहर से ताला लगा था। पत्नी गुलमा देवी ने बताया कि सुबह 8:30 बजे पति रोज की तरह ड्यूटी गए थे। दोपहर में किसी काम से बेटे अखिलेश ने कॉल की तो फोन नहीं उठा। अस्पताल में ही कार्यरत परिचित को फोन किया तो उन्होंने खुद को छुट्टी पर होना बताया।
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शाम तक कॉल न उठने पर बेटा और कुछ लोग अस्पताल गए। जिस कमरे में बैठकर वह ड्रेस सिलते थे, उस कमरे में बाहर से ताला लगा मिला। तोड़कर अंदर गए तो स्टोर रूम परिसर के पास जला हुआ शव मिला। उन्हीं लोगों ने शव पहचाना, जो अवकाश पर होने की बात कह रहे थे। अज्ञात में हत्या की रिपोर्ट दर्ज हुई। गुलमा ने बताया कि उन्हें स्टाफ के ही कुछ लोगों पर शक हमेशा रहा। उन्हें इंतजार है कि पुलिस कब सही खुलासा करेगी। एससी-एसटी आयोग के उपाध्यक्ष मिथिलेश कुमार भी मामले में रिपोर्ट मांग चुके हैं।