Nagaland: विधानसभा में यूसीसी और वन संरक्षण अधिनियम का विरोध, सीएम बोले- अपने समझौते का अपमान नहीं करेगा देश

Nagaland: विधानसभा में यूसीसी और वन संरक्षण अधिनियम का विरोध, सीएम बोले- अपने समझौते का अपमान नहीं करेगा देश



नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ।
– फोटो : ANI

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नगालैंड विधानसभा ने सोमवार को प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और वन संरक्षण (संशोधन) अधिनियम के कार्यान्वयन का विरोध किया और 16-सूत्री समझौते और अनुच्छेद 371 ए के तहत सुरक्षा की मांग की। नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी), भाजपा, राकांपा, एनपीपी, लोजपा (राम विलास), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), आरपीआई (अठावले), जदयू और निर्दलीय सहित सभी दलों ने मानसून सत्र के पहले दिन इन मुद्दों पर चर्चा की। 

एनपीएफ विधायक कुझोलुजो नीनू ने कहा कि नगाओं को अनुच्छेद 371ए के तहत विशेष संरक्षण प्राप्त है और इसलिए समान नागरिक संहिता और वन संरक्षण संशोधन कानून पर चर्चा करने की जरूरत है। “अनुच्छेद 371 ए स्पष्ट रूप से कहता है कि संसद का कोई भी अधिनियम नागालैंड राज्य पर नगाओं की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, इसके प्रथागत कानूनों और प्रक्रिया, नगा प्रथागत कानूनों के अनुसार निर्णयों से जुड़े नागरिक और आपराधिक न्याय के प्रशासन और भूमि और उसके संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण के संबंध में लागू नहीं होगा, जब तक कि राज्य विधानसभा ऐसा निर्णय नहीं लेती है।” उन्होंने कहा और प्रस्ताव दिया कि सदन यूसीसी और वन अधिनियम को खारिज करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करे।

नगाओं के हित में बने संवैधानिक प्रावधानों की नहीं होगी अनदेखी

नगालैंड भाजपा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री तेमजेन इमना अलोंग ने आश्वासन दिया कि वे दोनों मुद्दों पर विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव के साथ खड़े होंगे। राकांपा विधायक दल के उपनेता पी लोंगन और एनपीपी विधायक दल के नेता नुकलुतोशी लोंगकुमेर ने भी कहा कि दोनों कानून नगालैंड में लागू नहीं हो सकते। दोनों चर्चाओं पर समापन टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि नागालैंड एकमात्र राज्य है जो एक राजनीतिक समझौते-16 सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर करने और भारत के संविधान में अनुच्छेद 371ए को शामिल करने के साथ भारतीय संघ में शामिल हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र अपने ही समझौते का अपमान नहीं करेगा और न ही नगाओं के हित में बने संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी करेगा। रियो ने सदन को सूचित किया कि राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य को समान नागरिक संहिता से छूट देने के लिए 22वें विधि आयोग को एक प्रतिवेदन पहले ही सौंप दिया है।








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