नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC)
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डॉक्टरों को बड़े-बड़े साइनबोर्ड नहीं लगाने चाहिए। केमिस्ट शॉप या जहां डॉक्टर न खुद रहते हों, न काम करते हों, वहां भी इन्हें लगवाना अनुचित है। विजिटिंग कार्ड और घोषणा पत्रों के जरिये भी चिकित्सक लोगों को भ्रमित न करें।
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने देश के चिकित्सकों के लिए यह नैतिक सिफारिशें ‘प्रोफेशनल कंडक्ट रिव्यू’ नाम से जारी एक ई-बुक में की हैं। सिफारिशों में यह भी कहा है कि साइनबोर्ड पर अपने नाम, योग्यता, विशेषज्ञता और पंजीकरण संख्या के अलावा कुछ न लिखवाएं। दवा के पर्चे पर भी केवल यही चीजें लिखें।
सर्टिफिकेट कोर्स करके खुद को कंसल्टेंट न लिखें
आयुर्विज्ञान आयोग ने एक डॉक्टर के अल्ट्रासाउंड तकनीक का 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करके खुद को कंसल्टेंट सोनोलॉजिस्ट बताने पर कड़े निर्देश दिए। आयोग ने कहा कि बिना योग्यता कोई भी डॉक्टर खुद को विशेषज्ञ कंसल्टेंट न लिखें। विशेषज्ञता के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन करनी होती है। संबंधित मामले में डॉक्टर बिना योग्यता व प्रशिक्षण के ही साल 2004 से विशेषज्ञ बना हुआ था।
नहीं दे रहे जानकारियां
14 साल के एक बीमार बच्चे को इलाज के लिए पीएचसी, जिला अस्पताल और फिर आईसीयू व वेंटिलेटर पर रखने और उसकी मौत के मामले में आयोग ने डॉक्टरों के खिलाफ जांच की। इसमें लापरवाही तो नहीं मानी, लेकिन कहा कि अधिकतर मामलों में डॉक्टर और मरीज व उसके परिजनों के बीच संवाद की कमी है।