अजीत पवार-छगन भुजबल
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महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शपथ लेने वाले नौ मंत्रियों में से कम से कम तीन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चल रही है। ये तीन मंत्री अजित पवार, छगन भुजबल और हसन मुश्रीफ हैं। इनमें से कोई जमानत पर है तो किसी को सजा मिल चुकी। किसी का केस अभी कोर्ट में लंबित है।
अजित पवार
सहकारी बैंक घोटाला: अजित पवार राज्य सहकारी बैंक के दिए ऋणों में अनियमितताओं पर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की जांच का सामना कर रहे थे। इसमें ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। नवंबर, 2019 में महाविकास अघाड़ी सरकार के बनने के बाद ईओडब्ल्यू ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की। दरअसल, ईओडब्ल्यू केस बंद हो जाता तो ईडी भी जांच जारी नहीं रख सकती। शिंदे सरकार बनने के बाद ईओडब्ल्यू ने कहा-जांच जारी है।
सिंचाई घोटाला: अजित जब कांग्रेस-एनसीपी सरकार में जल संसाधन मंत्री थे, तब सिंचाई परियोजनाओं में अनियमितता के आरोप लगे थे। महाराष्ट्र एसीबी ने इस संबंध में अदालत की निगरानी में जांच शुरू की थी। 2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार में रहने के दौरान एसीबी ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी। हालांकि, यह रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभी भी स्वीकार नहीं की है।
छगन भुजबल
दो साल जेल काट चुके: छगन भुजबल और 16 अन्य लोगों के खिलाफ एसीबी ने 2015 में केस दर्ज किया था। यह मामला 2006 में तीन परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ से अधिक के ठेके देने में अनियमिताओं से जुड़ा है। भुजबल तब पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए एक अलग मामला भी दर्ज किया था। एजेंसी ने मामले में भुजबल को 2016 में गिरफ्तार किया था और दो साल जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।
हसन मुश्रिफ
1500 करोड़ के घोटाले के आरोप: हसन मुश्रिफ सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्टरी लि. और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों पर 1500 करोड़ के घोटाले के सिलसिले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। उनके तीन बेटों के खिलाफ भी ईडी जांच चल रही है। अग्रिम जमानत याचिकाएं लंबित हैं। भाजपा नेता किरीट साेमैया ने ये आरोप लगाए थे। इसी साल अप्रैल में मुश्रिफ की अग्रिम जमानत विशेष अदालत ने खारिज कर दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते उनकी अंतरिम राहत 11 जुलाई तक बढ़ा दी थी।