Rahul Gandhi
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राहुल गांधी ने पिछले साल जिस भारत जोड़ो यात्रा शुरुआत की थी अब उसी यात्रा से विपक्षी दलों के गठबंधन के समूह INDIA का पूरा रोड मैप तैयार किया जा रहा है। मुंबई में आयोजित हुई गठबंधन की बैठक में इसका पूरा प्रतिबिंब भी साफ तौर पर देखा गया। सियासी जानकारों का मानना है के राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर ही विपक्षी दलों के गठबंधन ने “जुड़ेगा भारत” की थीम के साथ एक कदम और आगे बढ़ते हुए अपने सियासी लक्ष्य को पाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अलावा जनता के मुद्दों को आगे रखकर जिस तरीके से राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा की थी उन्हें मुद्दों के साथ अब विपक्षी दलों का यह गठबंधन सियासी मैदान में जनता के बीच अपनी आवाज रखता हुआ नजर आएगा। फिलहाल मुंबई में आयोजित हुई बैठक में शामिल नेताओं का कहना है कि जिन दो अहम मुद्दों पर मुंबई की बैठक में फैसला लिया गया है अगले कुछ दिनों में उसके परिणाम भी दिखने शुरू हो जाएंगे।
मुंबई में आयोजित हुई दो दिवसीय विपक्षी दलों की बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उसमें पहला मुद्दा सीटों के बंटवारे को लेकर हुआ। उसके बाद तय हुआ कि जल्द ही सीट शेयरिंग के फार्मूले के साथ कोऑर्डिनेशन कमिटी अपना आगे का काम शुरू करेगी। इसके साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर जनसभाएं और रैलियां को करने तैयारी को शुरू करने का प्रस्ताव बनाया गया। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की थीम को लेकर तय हुआ। इस थीम को “जुड़ेगा भारत जीतेगा INDIA” के प्रस्ताव के साथ लांच किया गया। राजनीतिक विश्लेषक पद्मकांत शाही कहते हैं कि विपक्षी दलों के गठबंधन की थीम को अगर गहराई से देखेंगे तो उसमें राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा का बड़ा अंश जुड़ता हुआ दिखेगा। थीम के हिस्से का पहला अंश “जुड़ेगा भारत” राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के सबसे अहम मुद्दे से प्रभावित है। पद्माकांत कहते हैं कि राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से वही काम करने की कोशिश की थी जो विपक्षी दलों के गठबंधन की थीम के पहले हिस्से का है।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सिर्फ “भारत जोड़ो यात्रा” के नाम वाले अंश ही नहीं बल्कि राहुल गांधी की यात्रा के मुख्य मुद्दे को ही अब गठबंधन आगे बढ़ा रहा है। जानकारों का मानना है कि मुंबई में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में जिस तरीके से जनता के मुद्दों को आगे रखकर रैलियों और जनसभाओं को करने की बात कही गई है वह भी उनकी भारत जोड़ो यात्रा का ही एक बड़ा मुद्दा था। हालांकि उद्धव ठाकरे की शिव सेना के नेता हरिभाऊ राणे कहते हैं कि सभी राजनीतिक दल हमेशा से जनता के मुद्दों पर ही अपनी बात आगे रखते आए हैं। उनका कहना है कि इसलिए इस बैठक में जिन मुद्दों को आगे रखकर सियासी रैलियां और जनसभाओं को करने की बात कही गई है वह जनता के ही मुद्दे हैं।
सियासी विश्लेषको का मानना है कि विपक्षी दलों के गठबंधन में अभी भी सबसे बड़ी और मजबूत भूमिका कांग्रेस की ही बन रही है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार वेद सहाय बताते हैं मुंबई में आयोजित हुई बैठक के बाद जब शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे ने माइक संभाला तो उन्होंने भी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने के लिए आमंत्रित किया तो उनकी जुबान से भी “हम सब के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे” जैसा शब्द ही निकला। वह कहते हैं कि इससे एक बात तो पता चलती है कि विपक्षी दलों के अलग-अलग नेताओं ने भी कांग्रेस के नेताओं को ही एक तरह से अपना बड़ा नेता मानना शुरू कर दिया है। सियासी जानकारों का कहना है भले ही बैठक में किसी भी नेता की ओर से खुद को गठबंधन का नेता न पेश किया गया हो लेकिन सियासी गलियारों में जिन नेताओं के नाम गठबंधन के प्रमुख नेता के तौर पर चल रहे हैं उसमें मल्लिकार्जुन खड़गे यानी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम आगे है।
वही इस बैठक में शामिल विपक्षी दलों के नेताओं का मानना है कि जल्द ही देश के अलग-अलग हिस्सों में रैली और जनसभाएं शुरू कर दी जाएंगी। विपक्षी दलों में शामिल एक पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सितंबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह से INDIA के नेताओं की रैलियां और जनसभाएं उनके प्रभाव वाले इलाकों में शुरू होंगी। हालांकि इसके लिए शुक्रवार को मुंबई में तैयार हुई कैंपेन कमिटी की योजना के अनुसार ही आगे की पूरी रणनीति और मॉडल तैयार किया जाएगा। इसके अलावा तय यह भी हो चुका है कि दूसरे या तीसरे सप्ताह से नेता INDIA गठबंधन के तहत जनता के बीच में पहुंचेंगे। बैठक में तय हुआ है कि जनता के मुद्दों के साथ ही केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए उनकी तथ्यों के साथ पूरी असलियत भी रखी जाएगी।
बैठक में शामिल एक प्रमुख पार्टी से जुड़े नेता बताते हैं की तय यह भी हुआ है कि जिन राज्यों में INDIA गठबंधन की रैलियां या जनसभाएं होंगी वहां पर अलग-अलग राज्यों के विपक्षी नेता जरूर शामिल होंगे। ऐसा करके एक बड़ा संदेश इन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ दिया जा सकेगा। फिलहाल रैली और जनसभाओं के लिए तैयार हुई कैंपेन कमेटी की योजना के मुताबिक आगे की रणनीति शुरू हो जाएगी।