परवेज मुशर्रफ
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पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने दिवंगत सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को देश छोड़ने से रोकने के लिए उन्हें एग्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) डालने के लिए छह साल पहले दायर याचिका का मंगलवार को निपटारा किया और कहा कि अब इसे अल्लाह पर छोड़ दें।
मुशर्रफ का फरवरी में दुबई में 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया था और शीर्ष अदालत ने मार्च 2016 में उन्हें इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति दी थी। उन्हें पाकिस्तान छोड़ने से रोकने के लिए वकील तौफीक आसिफ ने एक याचिका दायर की थी। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने पूर्व सैन्य शासक की मृत्यु के छह महीने बाद याचिका पर सुनवाई की।
एक प्रमुख स्थानीय समाचार पत्र की खबर के मुताबिक, मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मजहर अकबर नकवी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पूछा- क्या यह याचिका अब निरर्थक नहीं है? याचिकाकर्ता वकील आसिफ ने चुटकी लेते हुए कहा कि अगर सुनवाई के लिए पहले ही तारीख तय कर दी गई होती तो यह निरर्थक न होता। उन्होंने कहा कि जैसा कि अनुमान लगाया गया था, मुशर्रफ देश छोड़कर गए और वापस नहीं लौटे।
न्यायमूर्ति जमाल खान मंदोखैल ने टिप्पणी की- अब इसे अल्लाह पर छोड़ दें। याचिकाकर्ता ने जवाब दिया- ठीक है, यह अब अल्लाह पर निर्भर है। शीर्ष अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।
दिसंबर 2019 में एक विशेष अदालत ने मुशर्रफ को देशद्रोह का दोषी पाया था और उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि, सजा कभी नहीं दी गई। वर्ष 1999 में करगिल युद्ध के सूत्रधार रहे मुशर्रफ का इस साल पांच फरवरी को दुबई के अमेरिकन अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। उनके परिवार के अनुसार, वह एमाइलॉयडोसिस से पीड़ित थे, जो पूरे शरीर में अंगों और ऊतकों में एमिलॉयड नामक एक असामान्य प्रोटीन के निर्माण के कारण होने वाली एक दुर्लभ बीमारी थी।