अनवर उल हक
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पाकिस्तान में चल रही सियासी खींचतान के बीच, इस साल के अंत में होने वाले आम चुनावों की देखरेख के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री का नाम तय कर दिया है। इसके लिए अनवर उल हक के नाम पर मुहर लग गई है। निवर्तमान प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और विपक्ष के नेता राजा रियाज ने इस मामले पर दो दौर के विचार-विमर्श के बाद उनके नाम को अंतिम रूप दिया। नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता राजा रियाज और निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसके बारे में जानकारी दी है।
पाकिस्तान के पीएमओ कार्यालय ने इस बारे में एक बयान भी जारी किया है। इसमें कहा गया है कि निवर्तमान पीएम शहबाज़ और नेशनल असेंबली (एनए) में निवर्तमान विपक्षी नेता राजा रियाज ने अनवर उल हक को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के संबंध में राष्ट्रपति अल्वी को सलाह भेजी है। जिसे उन्होंने तुरंत मंजूरी देते हुए संविधान के अनुच्छेद 224 ए के तहत प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। बता दें कि अनवर उल हक बलूचिस्तान से आते हैं। गौरतलब है कि अनवर-उल-हक काकर बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) से विधायक हैं।
वहीं, प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के बाद काकर ने ट्वीट कर कहा, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर देशसेवा का यह अवसर देने के लिए ईश्वर का धन्यवाद। देश के हित में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करूंगा।
इससे पहले शाहबाज शरीफ से हुई मुलाकात को लेकर राजा रियाज ने कहा, हमने पहले फैसला किया है कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री छोटे प्रांत से होना चाहिए, साथ ही कोई बेदाग व्यक्तित्व वाला शख्स इस पद पर होना चाहिए। आखिरकार काकर के नाम पर सहमति बनी है। वहीं, शरीफ ने रियाज का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, 16 महीने तक विपक्ष के नेता के तौर पर बेहतरीन भुमिका अदा करते के बाद रियाज ने इस नाजुक दौर में बहुत गंभीरता और समझदारी का परिचय दिया है। पाकिस्तान के अनुच्छेद 224 (1ए) के तहत राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री व विपक्ष के नेता की तरफ से सुझाए नाम को केयर टेकर प्रधानमंत्री नियुक्त करना होता है।
पाकिस्तानी संविधान के मुताबिक कार्यकाल पूर्व ही राष्ट्रीय विधानमंडल का विघटन होने पर 90 दिन के भीतर चुनाव होना चाहिए। लेकिन, पाकिस्तानी चुनाव आयोग को अब नई जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक परिसीमन के बाद चुनाव कराने हैं। इस प्रक्रिया में चुनाव आयोग को 6 महीने से ज्यादा का वक्त लग सकता है। लिहाजा, काकर अगले 6 महीने या उससे ज्यादा वक्त तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं।
सेना के अफसरों को पढ़ातें हैं अंतरराष्ट्रीय संबंध
1971 में बलोचिस्तान के किला सैफुल्ला में जन्मे काकर की शुरुआती शिक्षा सेना के कोहाट कैडेट कॉलेज से हुई है। उनके स्कूल के कई साथी पाकिस्तानी सेना के शीर्ष पदों पर रह चुके हैं। राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं। वह पाकिस्तानी सेना के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, क्वेटा और नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी, इस्लामाबाद के विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं, जहां अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर पर व्याख्यान देते हैं। काकर पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीस संबंधों के बड़े विद्वानों में शुमार हैं। वे पश्तो, उर्दू, फासरी, अंग्रेजी और बलोची धाराप्रवाह बोलते हैं।