पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह
– फोटो : ट्विटर/राणा सनाउल्लाह खान
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पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार का कार्यकाल 12 अगस्त को पूरा हो जाएगा। हाल ही में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गठबंधन सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सत्ता कार्यवाहक सरकार को सौंपने के संकेत दे दिए थे। इसके बाद खबरें आने लगीं कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री पद के लिए वित्त मंत्री इशाक डार का नाम सबसे आगे हैं। इस बीच अब पाक गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह का बयान आया है, उन्होंने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान सरकार सभी पक्षों को स्वीकार्य व्यक्ति को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने का प्रयास करेगी और इस पर आम सहमति बनाने के लिए बातचीत चल रही है।
वहीं वित्त मंत्री इशाक डार के नाम पर चल रही चर्चा को खारिज करते हुए सनाउल्लाह ने कहा कि यह सब अफवाह हैं। उन्होंने कहा कि है न तो इशाक डार का नाम सुझाया गया और न ही इसे खारिज किया गया है। सनाउल्लाह ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए नौकरशाह या राजनेता को चुनने पर अभी बातचीत चल रही है। आगे उन्होंने कहा कि अगर इस बात पर आम सहमति है कि किसी राजनेता को नियुक्त किया जा सकता है, तो वह इशाक डार या किसी भी पार्टी का कोई अन्य राजनेता हो सकता है।
बता दें कि पाकिस्तान में जल्द ही आम चुनाव होने वाले हैं। पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार चुनाव कानून 2017 में बदलाव की तैयारी कर रही है, इसी के चलते इशाक डार का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए चर्चा में आया है।
पाकिस्तान के संविधान के तहत, यदि नेशनल असेंबली अपना कार्यकाल पूरा कर लेती है तो 60 दिनों के भीतर चुनाव कराने होते हैं। लेकिन अगर विधानसभा समय से पहले भंग हो जाती है, भले ही एक दिन के लिए, तो सरकार को चुनाव कराने के लिए 90 दिन का समय मिल जाएगा। आम चुनाव के बाद नई सरकार बनने तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री देश का प्रशासन संभालेंगे। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने कथित तौर पर डार का समर्थन करने में अनिच्छा दिखाई है।
क्यों चुनाव कानून में बदलाव की पड़ी जरूरत
बता दें कि पाकिस्तान की सरकार चुनाव कानून 2017 में संशोधन करके अंतरिम सरकार को कई अधिकार देने की तैयारी कर रही है। इस संशोधन विधेयक को अगले हफ्ते ही असंबेली में पेश किया जाएगा। इस कानून के पास होने के बाद अंतरिम सरकार देश की अर्थव्यवस्था का वापस पटरी पर लाने वाले फैसले ले सकेगी। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ऐसे दौर से गुजर रही है, जहां आर्थिक नीतियों को चुनाव के चलते तीन महीने के लिए रोका नहीं जा सकता।