परंपराओं की थाती समेटे शिव की नगरी श्रावण पूर्णिमा पर खिलखिला उठी। काशीवासियों ने काशीपुराधिपति को रजत झूले पर झूला झुलाकर परंपरा निभाई। वहीं, महंत परिवार ने भी अपनी थाती0 को आगे बढ़ाया। 350 साल से चली आ रही झूलनोत्सव की नई जिम्मेदारी पूर्व महंत ने नई पीढ़ी को सौंपी। बाबा की चल प्रतिमा के पीछे चंद्रयान-3 और चंद्रमा के शिव शक्ति स्थल की झलक भी दिखी। भक्तों के बीच गलियों में राज राजेश्वर सपरिवार निकले तो हर-हर महादेव… का जयघोष हुआ।
बुधवार को टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर मंगला आरती से ही झूलनोत्सव के अनुष्ठान आरंभ हो गए। पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने विधि-विधान से बाबा का पूजन अर्चन किया और अपने पुत्र अंकशास्त्री वाचस्पति तिवारी को महंत परिवार के आयोजनों की जिम्मेदारी सौंपी। इसके साथ ही तीन शताब्दियों से अधिक समय से चली आ रही परंपरा भी नई पीढ़ी को हस्तांतरित हो गई। दोपहर में बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा का शृंगार संजीव रत्न मिश्र ने किया। दोपहर 1:30 बजे से शाम को छह बजे तक आम भक्तों ने श्रावण पूर्णिमा पर बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा के दर्शन किए।
हर-हर महादेव के जयघोष के साथ की पालकी की अगवानी
महंत आवास से रजत पालकी पर विराजमान होकर बाबा विश्वनाथ जब काशी की गलियों में निकले तो भक्त भी भगवान को देखने के लिए उमड़ पड़े। वाचस्पति तिवारी ने दंड व मशाल लेकर पालकी यात्रा का नेतृत्व किया। हर-हर महादेव का जयघोष करते हुए भक्तों ने अपने आराध्य की अगवानी की।
बाबा की पालकी यात्रा टेढ़ीनीम, विश्वनाथ गली, साक्षी विनायक, ढुंढिराज मार्ग, अन्नपूर्णा मंदिर मार्ग से हाेते हुए बाबा विश्वनाथ के धाम पहुंची। डमरू और शहनाई वादन के बीच बाबा की प्रतिमा शृंगार भोग आरती के समय धाम में पहुंची। बाबा की प्रतिमा को गर्भगृह के अंदर मंत्रोच्चार के साथ विराजमान कराया गया।
प्रतिमा की स्थापना के पश्चात गर्भ गृह के अर्चक पंडित टेकनारायण उपाध्याय और महंत परिवार के पुजारी ने प्रतिमा की भव्य आरती उतारी। इसके पश्चात बाबा को झूले पर विराजमान कर झूला झूलाया गया। आरती में बाबा के शृंगार के दौरान उन्हें अर्चकों ने राखी भी अर्पित की।