वाराणसी में गंगा तट पर पिंडदान करते श्रद्धाुल
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मोक्ष नगरी काशी में सर्वपितृ अमावस्या पर घर से लेकर गंगा घाट तक श्राद्ध और तर्पण के साथ ही पितरों को विदाई दी गई। पितृपक्ष का अंतिम दिन होने के कारण पिशाचमोचन कुंड और गंगा तट पर ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे। वहीं 15 दिनों में पितरों को 84 लाख योनियों से मुक्ति दिलाने के लिए 31 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने श्राद्ध व तर्पण किया।
तीर्थ पुरोहित रविंद्र पांडेय ने बताया कि पितृ विसर्जन के साथ ही पितरों की उनके लोक के लिए विदाई हो गई है। पिशाचमोचन कुंड और गंगा घाटों पर पितरों और अकाल मौत की शिकार आत्माओं की शांति के लिए 15 दिनों से चल रहे त्रिपिंडी श्राद्ध का कर्म विधान भी संपन्न हुआ।
तीन पिंडी बनाकर लोगों ने अपने बालों का तर्पण भी कराया। पितृ विसर्जन के साथ ही श्रद्धालुओं ने पितरों से सुख, सौभाग्य की कामना के साथ ही तृप्त होकर पितर लोक वापस जाने का अनुरोध किया। पितरों के लिए निकाले गए ग्रास को कौआ, गाय और जरूरतमंदों को दान भी किया।
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