पीएम नरेंद्र मोदी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार सुबह दिल्ली से फ्रांस के लिए रवाना हुए। पीएम फ्रांस में दो दिन रहेंगे। उसके बाद यूएई जाएंगे। इस बीच, पीएम मोदी ने फ्रांस के एक समाचार पत्र को इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने ग्लोबल साउथ और पश्चिमी दुनिया के बीच पुल के रूप में भारत की भूमिका पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने फ्रांस मीडिया से ही पूछा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ‘विश्व’ की बात करने का दावा कैसे कर सकती है, जब सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थायी सदस्य नहीं है? वहीं, चीन के साथ बिगड़ते हालातों और यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर किए गए सवालों पर भी बात की।
आइए जानते हैं कि पीएम मोदी ने सवालों के जवाब में क्या कुछ कहा –
सवाल- चीन अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारी मात्रा में पैसे खर्च कर रहा है। क्या इससे क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा है?
जवाब- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे हित व्यापक हैं। इससे हमारा जुड़ाव गहरा है। मैंने इस क्षेत्र को एक शब्द दिया हुआ है- सागर, जिसका अर्थ है क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास। हालांकि, हम जिस भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं उसके लिए शांति आवश्यक है, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं है।
भारत हमेशा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने के लिए खड़ा रहा है। आपसी विश्वास और भरोसा बनाए रखने के लिए यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। हमारा मानना है कि इसके माध्यम से स्थाई क्षेत्रीय और वैश्विक शांति तथा स्थिरता की दिशा में सकारात्मक योगदान दिया जा सकता है।
सवाल- इलाके में तनाव बढ़ता जा रहा है। भारत समेत कई देश चीन के आक्रामक व्यवहार से जूझ रहे हैं। चीन के साथ इस गतिरोध में रणनीतिक समर्थन के मामले में आप फ्रांस से क्या उम्मीद करते हैं?
जवाब- भारत और फ्रांस के बीच एक व्यापक आधार तथा रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें राजनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक, मानव-केंद्रित विकास और स्थिरता सहयोग शामिल है। जब समान दृष्टिकोण और मूल्यों वाले देश द्विपक्षीय रूप से मिलकर एक साथ काम करते हैं, तो वे किसी भी चुनौती से निपट सकते हैं।
इंडो पैसिफिक क्षेत्र सहित हमारी साझेदारी किसी देश के खिलाफ नहीं है। हमारा उद्देश्य हमारे आर्थिक और सुरक्षा हितों की रक्षा करना, नेविगेशन और वाणिज्य की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन को आगे बढ़ाना है। हम अन्य देशों की क्षमताओं को विकसित करने और स्वतंत्र रूप से विकल्प चुनने के उनके प्रयासों का समर्थन करने के लिए उनके साथ काम करते हैं। हमारा लक्ष्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता को आगे बढ़ाना है।
सवाल- सितंबर में आपने व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि आज युद्ध का युग नहीं है। युद्ध अब लंबा खिंच रहा है और वैश्विक दक्षिण पर इसके परिणाम बहुत बड़े हैं। क्या भारत रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना रुख कड़ा करने जा रहा है?
जवाब- मैंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से कई बार बात की है। मैं हिरोशिमा में राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिला। हाल ही में, मैंने राष्ट्रपति पुतिन से दोबारा बात की। इस मामले में भारत का रुख स्पष्ट, पारदर्शी और सुसंगत रहा है। मैंने कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। हमने दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के जरिए मुद्दों को सुलझाने का आग्रह किया है। मैंने उनसे कहा कि भारत उन सभी वास्तविक प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है, जो इस संघर्ष को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं। हमारा मानना है कि सभी देशों का दायित्व है कि वे दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें, अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करें और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करें।
हम पूरी दुनिया खासकर ग्लोबल साउथ पर युद्ध के प्रभाव को लेकर भी चिंतित हैं। पहले से ही कोरोना महामारी के प्रभाव से जूझ रहे देशों को अब ऊर्जा, खाद्य और स्वास्थ्य संकट, आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति और बढ़ते कर्ज के बोझ का सामना करना पड़ रहा है। युद्ध खत्म होना चाहिए। हमें उन चुनौतियों का भी समाधान करना चाहिए, जिनका दक्षिण के देश सामना कर रहे हैं।