प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फाइल फोटो।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बिहार के एनडीए के बिहार के सांसदों के साथ मुलाकात के दौरान विपक्षी गठबंधन से निपटने के लिए एक नई रणनीति का सुझाव दिया। उन्होंने विपक्षी गठबंधन को इंडिया नहीं बल्कि उनके घमंडी होने के कारण उनके लिए ‘घमंडिया’ शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी। मीडिया रिपोर्ट्स में बैठक में मौजूद सूत्र के हवाले से यह दावा किया गया है। हाल के हफ्तों में, पीएम मोदी ने खुद को इंडिया कहने के लिए विपक्षी ब्लॉक पर अक्सर हमला किया है, पार्टियों पर, विशेष रूप से कांग्रेस पर, पूर्व यूपीए या संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के रूप में अपने पिछले रिकॉर्ड को छिपाने के लिए रीब्रांडिंग का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
देशभक्ति नहीं देश को लूटने के इरादे से इस्तेमाल किया इंडिया नाम
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने गरीबों के खिलाफ योजना बनाने की बात छिपाने के लिए अपना नाम यूपीए से बदलकर इंडिया कर लिया… इंडिया का नाम उनकी देशभक्ति दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि देश को लूटने के इरादे से है। पिछले महीने बेंगलुरु में एक बैठक में, 26 विपक्षी दलों ने अगले साल के राष्ट्रीय चुनाव में नए नाम इंडिया या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस के तहत पीएम मोदी और भाजपा का मुकाबला करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि यह नाम ‘भारत के विचार’ के लिए उनकी लड़ाई का प्रतीक है, जिस पर हमला किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने कहा था- लड़ाई एनडीए और I.N.D.I.A के बीच
बता दें कि राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था, “लड़ाई NDA और I.N.D.I.A के बीच है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के बीच है, उनकी (भाजपा की) विचारधारा और भारत के बीच है। आप जानते हैं कि जब कोई भारत के खिलाफ खड़ा होता है, तो क्या होता है, कौन जीतता है?” बार-बार नाम पर निशाना साधने, यहां तक कि ईस्ट इंडिया कंपनी और “इंडिया” नाम वाले आतंकवादी संगठनों का हवाला देने के बाद, भाजपा ने विपक्ष के गठबंधन को उसके पुराने नाम यूपीए (UPA) से बुलाने का फैसला किया। कल की बैठक में मोदी ने भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सांसदों को जाति आधारित राजनीति से ऊपर उठने और ‘पूरे समाज का नेता बनने’ की भी सलाह दी।
पीएम बोले- नीतीश मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में नहीं थे, फिर भी हमने बनाया
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह स्थिर सरकार की खातिर भाजपा की उदारता का एक उदाहरण हैं। उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने के लायक नहीं थे क्योंकि उनके पास कम सीटें थीं लेकिन फिर भी बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया। यह एनडीए का त्याग भावना है। उन्होंने अकाली दल को उन सहयोगियों के उदाहरण के रूप में भी इस्तेमाल किया, जिन्होंने “अपने स्वार्थ के कारण छोड़ दिया”। प्रधानमंत्री ने सांसदों को सलाह दी कि वे सरकारी योजनाओं को ‘राजग सरकार की योजनाओं’ के रूप में वर्णित करें और इस बात पर प्रकाश डालें कि केवल एनडीए ही एक स्थिर सरकार प्रदान कर सकता है।
पीएम ने बैठक में पूर्व पीएम वाजपेयी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी किया याद
पीएम मोदी ने सांसदों को टास्क सौंपते हुए सुझाव दिया कि वे एनडीए के योगदान को बढ़ावा देने और उजागर करने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करें। अपनी सलाह साझा करते हुए पीएम ने बीजेपी के दो वरिष्ठ नेताओं- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का जिक्र किया। सांसदों को बारी-बारी से बात करने से बचने की सलाह देते हुए प्रधानमंत्री ने सुषमा स्वराज का उदाहरण दिया, जो अपनी भाषण कला के लिए जानी जाती थीं, लेकिन केवल तभी बोलती थीं जब आवश्यक होता था।