मध्य प्रदेश की दूसरी सूची जारी होने के बाद भाजपा ने राजस्थान में पहली और छत्तीसगढ़ की दूसरी सूची के लिए जोड़ तोड़ शुरू कर दी है। दिल्ली हाईकमान दोनों राज्यों के सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों का नाम फाइनल करने में जुटा है। वही सर्वे के अनुसार भाजपा कमजोर सीटों पर जीत हासिल करने के लिए खास रणनीति तैयारी कर रही है। ऐसी चर्चा है कि, भाजपा मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी केंद्र के दिग्गजों को कमजोर सीटों पर उतारकर जीत हासिल करने का प्रयास कर सकती है। इनमें कुछ केंद्रीय मंत्री और सांसदों के नामों सबसे आगे नजर आ रहे हैं।
राजस्थान के रण में ये केंद्रीय मंत्री और सांसद उतर सकते हैं
सूत्रों के अनुसार,भाजपा केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को विधानसभा टिकट देने पर विचार कर रही है। तीनों केंद्रीय मंत्रियों को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है। इसके अलावा पार्टी 5 सांसदों और पूर्व सांसदों को भी विधानसभा चुनाव लड़ाने पर पार्टी विचार कर रही है।
सूत्रों का दावा है कि, पार्टी राजसमंद सांसद दीया कुमारी, जयपुर ग्रामीण सांसद राज्यवर्धन राठौड़, पाली सांसद पीपी चौधरी और नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा को विधानसभा चुनाव लड़वा सकती है। पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जयपुर दौरे के समय दीया कुमारी समेत कुछ सांसदों को चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा था। बीजेपी केंद्रीय मंत्री और सांसदों को उन मुश्किल सीटों पर चुनाव लड़ाना चाहती है जिन पर उसे अभी तक जीत नहीं मिल पाई है।
कैलाश चौधरी: बाड़मेर से सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं। भाजपा को बाड़मेर में जाट वर्ग को संतुष्ट करने के लिए चेहरे की जरूरत है। पहले बायतू से विधायक भी रह चुके हैं। यहां से फिर बायतू से उतारा जा सकता है। अभी: यह कांग्रेस के खाते में है।
राहुल कस्वां: चूरू से दूसरी बार सांसद हैं। क्षेत्र में जाट वर्ग में उनके परिवार की अच्छी पैठ है। पिता रामसिंह कस्वां पूर्व में सांसद और माता कमला कस्वां पूर्व में विधायक रही हैं। यहां से सादुलपुर से विधानसभा सीट से प्रत्याशी हो सकते हैं। अभी: इस सीट से विधायक कृष्णा पूनिया मंत्री भी है।
सुखबीर सिंह जौनपुरिया: टोंक-सवाई माधोपुर से सांसद हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारक और जाने-माने क्रिकेटर मोहम्मद अजहरूद्दीन को हराया था। पूर्वी राजस्थान में गुर्जर प्रतिनिधित्व को ध्यान में रख रहे हैं। यहां से देवली- उनियारा या कोटपूतली से टिकट संभव ।अभी:यहां से कांग्रेस विधायक है।
बाबा बालकनाथ: अलवर से दूसरी बार सांसद बने हैं। मस्तनाथ मठ के महंत हैं। हिन्दूत्ववादी चेहरा और यादव समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां से बहरोड़ से चुनाव मैदान में उतारकर यादव समाज को साधा जा सकता है ।अभी: इस सीट पर निर्दलीय विधायक है।
दीया कुमारी: राजसमंद से सांसद हैं और पहले सवाई माधोपुर से विधायक रह चुकी हैं। विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर संदेश देंगे। यहां से: हवा महल सीट से लड़ाया जा सकता है। अभी: यह सीट कांग्रेस भी कांग्रेस के पास है।
भागीरथ चौधरी: अजमेर से सांसद हैं। जाट वर्ग से आने वाले चौधरी दो बार किशनगढ़ से विधायक रह चुके हैं। स्थानीय होने के कारण सियासी और सामाजिक पकड़ भी है । यहां से जातिगत समीकरण साधने के इन्हें फिर किशनगढ़ से टिकट दे सकते हैं। किशनगढ़ से निर्दलीय विधायक हैं।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़: ग्रामीण लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद हैं। पूर्व में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। राजपूत समाज से हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। पार्टी झोटवाड़ा विस क्षेत्र से उम्मीदवार बना सकती है।अभी यह सीट कांग्रेस के पास हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा है। हालांकि शेखावत शाह के जयपुर दौरे के दौरान इस चर्चा को खारिज कर चुके हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने इस बारे में उनसे कोई चर्चा नहीं की है. सरदारपुरा सीट शेखावत के संसदीय क्षेत्र जोधपुर में है। शेखावत 2019 में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। हालांकि शेखावत के नाम की चर्चा सरदारपुरा के अलावा जोधपुर संसदीय क्षेत्र की एक और सीट से भी हैं।
अर्जुन राम मेघवाल: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को खाजूवाला विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। वर्तमान में इस सीट से राजस्थान कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष गोविंद मेघवाल विधायक हैं। खाजूवाला सीट अर्जुन राम मेघवाल के संसदीय क्षेत्र बीकानेर में आती है।
छत्तीसगढ़ में इन सांसदों पर पार्टी लगा सकती हैं दांव
राजस्थान के अलावा छत्तीसगढ़ में भी यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि कई सांसदों को टिकट दिया जा सकता है। पार्टी के पांच ऐसे सांसद है जो एक बार से ज्यादा बार विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ चुके है। पार्टी पहले ही दुर्ग से सांसद विजय बघेल को पाटन विधानसभा सीट से टिकट दे चुकी है। बघेल को सीएम भूपेश बघेल के सामने उतारा गया है।
अरुण साव: बिलासपुर संसदीय सीट से सांसद हैं। साव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। अरुण साव को लोरमी या फिर बिलासपुर से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। बिलासपुर से सांसद होने के कारण साव का प्रभाव कई सीटों पर रहेगा इसलिए उन्हें उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
रेणुका सिंह: केंद्रीय राज्य मंत्री सिंह की विधानसभा चुनाव लड़ाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। वे सरगुजा संसदीय सीट से सांसद हैं। रेणुका सिंह 2003 में विधायक रह चुकी हैं। केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद क्षेत्र में उनका जनाधार बढ़ा है जिसे देखते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। रेणुका को लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने का भी अनुभव हैं। वे प्रेम नगर सीट से 2003,2008 में विधायक रह चुकी है।
सरोज पांडेय: राज्यसभा सांसद पांडेय पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है। उनके पास लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों ही चुनाव का अनुभव है। सरोज पांडेय के नाम एक ही समय में महापौर,विधायक और सांसद रहने का रिकॉर्ड है।
विजय बघेल: विजय बघेल पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। इसके पहले वे तीन बार विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके है।
संतोष पांडेय: राजनांदगांव से सांसद संतोष पांडेय के भी विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। पांडेय कवर्धा जिले के रहने वाले हैं। उन्हें कवर्धा जिले की किसी विधानसभा सीट से उतारा जा सकता है।
गोमती साय: राय रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद हैं। रायगढ़ जिले की लैलूंगा या फिर सारंगढ़ विधानसभा सीट से उनके उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
चुन्नीलाल साहू: महासमुंद सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले साहू पहली बार के सांसद है। लेकिन वे खल्लारी सीट से सांसद विधायक रह चुके है।
कमजोर सीटों पर बीजेपी ने बनाया विशेष प्लान
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव को लेकर फूल प्रूफ प्लान बनाया है। इसके तहत शीर्ष ने नेतृत्व ने की सी और डी कैटेगरी की सीटों पर विशेष नजर है। बीजेपी इन श्रेणी की सीटों पर अब जीत हासिल करने के लिए लगातार जुटी हुई है। ऐसे में इन कमजोर सीटों पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री और सांसदों को उतारने का मन बनाया है। जहां सी और डी कैटेगरी में पार्टी के दिग्गजों को उतार कर बीजेपी वहां से जीत तलाश कर रही है।