राजस्थान की सात विधानसभा सीटों का दिलचस्प आंकड़ा।
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राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 का संग्राम जारी है। भाजपा और कांग्रेस समेत सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रिय पार्टियां चुनाव में ज्यादा से ज्याद सीटें जीतने के लिए राणनीति बना रही हैं। प्रदेश में 200 विधानसभा सीटें हैं, जहां पार्टियां अपने अलग-अलग उम्मीदवार खड़े कर रही है।
इस 200 सीटों में से 60 भाजपा तो 21 कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं। यहां से कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों को हराना काफी मुश्किल हैं। पिछले छह से दो चुनावों में दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों को जीत मिली है। लेकिन, कई सीटें ऐसी हैं जहां 38 और 25 साल से कांग्रेस को जीत नहीं मिली है। आइए, इन सीटों पर नजर डालते हैं…।
- उदयपुर में 25 साल से कांग्रेस का खाता नहीं खुला है। सिर्फ 1985 और 1998 में कांग्रेस उम्मीदवार को यहां जीत मिली थी।
- 1985 में बस्ती विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को आखिरी बार जीती थी। यानी, 38 साल में कांग्रेस यहां अपना कब्जा नहीं जमा पाई। पिछले तीन चुनाव से इस सीट से लगातार निर्दलीय चुनाव जीतते आ रहे हैं।
- 1998 के चुनाव में सांगानेर सीट से कांग्रेस की इंदिरा मायाराम आखरी बार चुनाव जीती थीं। इसके बाद यहां कभी कांग्रेस को जीत नहीं मिली। यानी यहां भी 25 साल से खाता नहीं खुला नहीं।
- 1998 में रतनगढ़ सीट से कांग्रेस के जयदेव प्रसाद इंदौरिया अंतिम बार जीते थे। अब तक कांग्रेस की वापसी नहीं हुई।
- 1998 के विधानसभा चुनाव में सिवान सीट से कांग्रेस के गोपाराम मेघवाल जीते थे। फिर कभी कांग्रेस का खाता नहीं खुला।
- 1993 के चुनाव में फतेहपुर सीट से भाजपा के भंवरलाल आखिरी बार चुनाव जीते थे। उसके बाद भाजपा यहां कमल का फूल नहीं खिला पाई।
- 1998 के चुनाव में कोटपूतली सीट से भाजपा के रघुवीर सिंह जीते थे। उसके बाद इस सीट पर कभी भाजपा की वापसी नहीं हुई।
भाजपा ने 41 सीटों पर उतारे प्रत्याशी
भाजपा ने प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से 41 पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए है। इन सीटों पर भाजपा ने 7 सांसदों को भी टिकट देकर चुनाव में उतारा है। यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर…
कांग्रेस की सूची का इंतजार
कांग्रेस ने अब तक प्रत्याशियों का एलान नहीं किया है। बीते दिनों सीएम अशोक गहलोत ने कहा था- मैं समझता हूं 18 अक्तूबर तक सूची जारी हो सकती है। यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर…