अमृतेश्वर महादेव
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मंदिरों के शहर बनारस में हर शिवलिंग का अपना महात्मय है। काशी की मोक्षप्रद यात्रा के दौरान अमृतेश्वर महादेव का स्थान सर्वप्रथम आता है। काशीखंड के अनुसार काशी और संसार के 42 स्वयंभू महालिंगों की मोक्षप्रद यात्रा का प्रथम लिंग अमृतेश्वर महादेव हैं। अमृतेश्वर महादेव का मंदिर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र में विराजमान है।
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काशीखंड के अनुसार अमृतेश्वर महादेव की उत्पत्ति की कथा शिव पुत्र स्कंद जी ने अगस्त्य ऋषि को सुनाई थी। काशी में सनारू नाम के एक गृहस्थ मुनि रहते थे। बिना शिवलिंग की पूजा के वे न भोजन करते और ना ही काशी तीर्थ में दान प्रतिग्रह लेते थे। मुनि के पुत्र उपजंघिनी को वन में मित्रों के साथ खेलते समय सांप ने काट लिया। सनारू ने जैसे ही मृत बालक को जमीन पर लिटाया वह जीवित हो गया। भूमि का प्रभाव जानने के लिए जब वहां खोदाई हुई तो वहां पर श्रीफल के आकार का शिवलिंग निकला। सनारू मुनि ने शिवलिंग की पूजा करके उसे वहीं स्थापित कर दिया। उस लिंग का नाम अमृतेश्वर नाम से विख्यात हुआ। इसी स्थान पर अमृतेश्वरी भी विराजमान हैं। सावन महीने में श्री काशी विश्वनाथ धाम आने वाले शिवभक्त अमृतेश्वर महादेव का अभिषेक जरूर करते हैं वहीं, निरंतर महादेव का अभिषेक होता रहता है।