सारंगनाथ महादेव मंदिर
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सारंगनाथ महादेव मंदिर में एक लोटा जल और बेलपत्र अर्पित करने से भक्तों को श्रीकाशी विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग की पूजा का फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि सावन भर काशीपुराधिपति ऋषि सारंग के साथ सारंगनाथ मंदिर में विराजते हैं। भक्तों की मनोकामना पूरी करने के साथ ही सारंगनाथ महादेव चर्म रोग से मुक्ति भी प्रदान करते हैं।
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शहर से लगभग 10 किलोमीटर पूर्वाेत्तर सारनाथ में सारंगनाथ महादेव का मंदिर है। पोखरे के किनारे जमीन से लगभग 20 फीट से अधिक की ऊंचाई पर सारंगनाथ महादेव का भव्य मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में दो शिवलिंग है। एक शिवलिंग आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया है। मान्यता है कि एक भगवान भोलेनाथ हैं और दूसरे उनके साले सारंगदेव महाराज। मान्यता है कि जो कोई चर्मरोग सेे ग्रसित है, वह यहां गोंद चढ़ाता है तो उसे इससे मुक्ति मिल जाती जाती है। सावन में यहां दर्शन-पूजन और जलाभिषेक करने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना कि काशी विश्वनाथ मंदिर में।
सारंगनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी ने बताया कि सारंग ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको दर्शन दिया था। तपस्या के कारण उनके शरीर पर हुए घाव को भगवान ने गोंद से सही किया। इसके बाद ऋषि से वारदान मांगने को कहा। इस पर सारंग ऋषि ने कहा कि आप हमारे साथ यहीं रहिए। भगवान शिव उन्हें कहते हैं कि पूरे सावन मैं तुम्हारे साथ यहीं रहूंगा।