सर्वोच्च न्यायालय
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को धोखे से धर्मांतरण कराए जाने पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। दरअसल, याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए कि वह इसके लिए आवश्यक कदम उठाए।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अदालत को इस मामले में क्यों प्रवेश करना चाहिए? अदालत सरकार को परमादेश की रिट कैसे जारी कर सकती है। बता दें, जनहित याचिका कर्नाटक के जेरोम एंटो ने दायर की थी।
जेरोम एंटो की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत में कहा कि हिंदुओं और नाबालिगों को निशाना बनाया जा रहा है और उनका धोखे से धर्म परिवर्तन किया जा रहा है।
पीठ ने कहा कि यह किस तरह की जनहित याचिका है? जनहित याचिका एक टूल यानी हथकंडा बनकर रह गई है और हर कोई इस तरह की याचिकाएं लेकर आ रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील ने पूछा कि इस तरह की शिकायत लेकर कहां जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि हम सलाहकार क्षेत्राधिकार में नहीं हैं। अगर हाल ही में कोई ऐसा मामला आया है या किसी पर किसी पर मुकदमा चलाया गया है तो हम उस पर विचार कर सकते हैं। इसके बाद शीर्ष अदालत की पीठ ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया।