स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी (फाइल फोटो)
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विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात भारत-फ्रांस संयुक्त दस्तावेज का एक संस्करण जारी किया था। इसमें तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद के लिए किए गए एक समझौते का उल्लेख किया गया था। हालांकि, दस्तावेज के ताजा संस्करण में यह हिस्सा शामिल नहीं किया गया है।
भारत-फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ मौके पर जारी किए ‘हॉरिजन 2047’ दस्तावेज में कहा गया था कि दोनों पक्षों ने पी-75 कार्यक्रम के तहत तीन अतिरिक्त पनडुब्बियों के निर्माण के लिए मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड और फ्रांस के नेवल ग्रुप के बीच हुए समझौते का स्वागत किया।
मंत्रालय की वेबसाइट से हटाया गया हिस्सा
हालांकि, अब विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध संस्करण में यह हिस्सा नहीं है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि मंत्रालय की वेबसाइट पर जो संयुक्त दस्तावेज उपलब्ध है, उस पर दोनों देशों ने सहमति जताई थी और यही हिस्सा फ्रांसीसी वेबसाइट पर भी है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है बातचीत का कुछ हिस्सा थोड़ी देर के लिए मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, जिसे बाद में हटा दिया गया।
पनडुब्बियों के निर्माण के परियोजना
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जुलाई को फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर गए थे। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए। इसमें फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर इंजन के संयुक्त विकास और भारतीय नौसेना के लिए स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण सहित कई रक्षा परियोजनाएं शामिल हैं।
स्कॉर्पीन पनडुब्बियों खरीदने को मंजूरी
इससे पहले रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने गुरुवार को नौसेना के लिए तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों और 26 राफेल समुद्री लड़ाकू जेट खरीदने के लिए हजारों करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी।