Supreme Court
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि लोन साल 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने के लिए माफी मांगें। बता दें, लोन मुख्य याचिकाकर्ता हैं, जिन्होंने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले इस अनुच्छेद को रद्द करने के फैसले को चुनौती दी है।
पांच जजों से की अपील
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि मोहम्मद अकबर लोन को बताना होगा कि वह संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं। साथ ही उन्हें सदन में नारे लगाने के लिए माफी मांगना होगा। पांच जजों की पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।
पांच जजो वाली पीठ ने कहा कि अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट देखी है और अदालत में दी गई दलीलों पर भी ध्यान दिया गया है। जब लोन के जवाब की बारी आएगी तब उनसे बयान मांगा जाएगा।
अगर माफी नहीं मांगी गई तो…
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं की ओर से आने वाले इन बयानों का अपना प्रभाव होता है। अगर माफी नहीं मांगी गई तो इससे दूसरों को प्रोत्साहन मिलेगा। इसका जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति लाने के लिए उठाए गए कदमों पर असर पड़ेगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि लोन को एक हलफनामा दायर करना चाहिए, जिसमें वह जम्मू-कश्मीर में नारे लगाने के लिए माफी मांगे।
गौरतलब है, हाल ही में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी। एक याचिका नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन ने भी दायर की है। अब कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में मोहम्मद अकबर लोन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है। कश्मीरी पंडित समूह का दावा है कि याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर लोन अलगाववादी ताकतों के समर्थक हैं।
याचिकाकर्ता के पाकिस्तान समर्थक होने का दावा
सुप्रीम कोर्ट में कश्मीरी पंडितों के समूह ‘रूट्स इन कश्मीर’ ने एक हस्तक्षेप याचिका दायर की। इस याचिका में दावा किया है कि जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन घाटी में संचालित होने वाली अलगाववादी ताकतों के समर्थक के तौर पर जाने हैं, जो पाकिस्तान का समर्थन करती हैं। हस्तक्षेप याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता नंबर एक (मोहम्मद अकबर लोन) 2002 से 2018 तक विधानसभा के सदस्य थे और विधानसभा में ही ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगा चुके हैं।