पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस।
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तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ विधायक मदन मित्रा ने पंचायत चुनाव के नामांकन के दौरान हुईं झड़पों के बारे में राज्यपाल सीवी आनंद बोस की टिप्पणियों को लेकर शुक्रवार को उनके बारे में विवादास्पद टिप्पणी की। साथ ही कहा कि राजभवन में रहने वाले को विपक्षी नेता की तरह नहीं बल्कि निष्पक्ष व्यवहार करना चाहिए।
राज्यपाल बोस शुक्रवार को दक्षिण 24 परगना जिले के भंगोर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजनीतिक हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि कार्रवाई की जाएगी और निष्क्रियता के लिए कोई बहाना नहीं चलेगा। बता दें कि भंगोर में गुरुवार को दो राजनीतिक दलों के समर्थकों के बीच हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई थी।
बोस ने कहा कि बंगाल के कुछ हिस्सों में अवांछित घटनाएं हुई हैं। मैंने उनके बारे में अपने निष्कर्ष निकाले हैं। किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी और हमें इसे खत्म करना होगा। टीएमसी के विधायक ने राज्यपाल के बयान पर आक्रोश जताते हुए इसे खारिज कर दिया।
इसके बाद मित्रा ने अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्यपाल भगवान की तरह व्यवहार करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह भगवान की तरह नहीं दिखते… राज्यपाल को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए वरना हम जानते हैं कि ऐसी स्थिति से कैसे निपटना है।
टीएमसी के राज्य प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि राज्यपाल को निष्पक्ष व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा, इतने गर्म और उमस भरे दिन में हमने राज्यपाल को भंगोर के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करते देखा। उन्हें निष्पक्ष व्यवहार करना चाहिए और केवल विपक्षी दलों की सूचना के आधार पर कार्य नहीं करना चाहिए। वह लोगों को हिंसा भड़काने के लिए उकसा रहे हैं।
राज्यपाल के समर्थन में उतरी भाजपा
वहीं, राज्यपाल के समर्थन में उतरते हुए भाजपा के राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि ऐसी टिप्पणी टीएमसी की मानसिकता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में सच बोला है। टीएमसी स्थिति को सुधारने की कोशिश करने के बजाय राज्यपाल और भाजपा को दोष देने में व्यस्त है।
स्थानीय विधायक ने राज्यपाल को दौरे के लिए दिया धन्यवाद
आईएसएफ (ISF) के वरिष्ठ नेता और भंगोर के विधायक नौशाद सिद्दीकी ने क्षेत्र का दौरा करने के लिए राज्यपाल को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, डरे हुए स्थानीय लोग उनके प्रति आभारी हैं। हालांकि, राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग चुप हैं, राज्यपाल इस हिंसा को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को दावा किया था कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता हिंसा में शामिल नहीं थे।