सेना प्रमुख मनोज पांडे
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भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे ब्रिटेन की यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियां और नवाचार के कारण युद्धक्षेत्र आज अधिक घातक और अधिक जटिल बना रहे हैं। पांडे का कहना है कि युद्ध के मैदान पर सैनिकों का संकल्प, साहस और वीरता ही अंतिम जीत का निर्धारण करेगी।
इंगलैंड में हुआ औपचारिक स्वागत किया
भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का गुरुवार को उनकी ब्रिटेन यात्रा की शुरुआत में लंदन में हॉर्स गार्ड्स परेड में गार्ड ऑफ ऑनर के साथ औपचारिक स्वागत किया गया। ब्रिटेन के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ, जनरल सर पैट्रिक सैंडर्स ने जनरल पांडे का स्वागत किया। इससे पहले उन्होंने नंबर सात कंपनी कोल्डस्ट्रीम गार्ड्स द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। कोल्डस्ट्रीम गार्ड्स ब्रिटिश सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंटों में से एक है, जो अपने प्रतिष्ठित लाल रंग के अंगरखे और भालू की त्वचा वाली काली टोपी पहने हुए थे।
सैन्य अधिकारियों को उदाहरण पेश करना चाहिए
अकादमी से पास आउट होने वाले अधिकारी कैडेटों को संबोधित करते हुए कहा सेना प्रमुख ने कहा कि आप एक सैन्य नेता की भूमिका निभाते हैं। इसलिए आपको उदाहरण पेश करना चाहिए। आप आगे बढ़ते रहें। हालांकि, युद्ध के चरित्र में बदलाव आ रहा है। हालिया संघर्षों के कारण रणनीतिक, परिचालन और सामरिक स्तरों पर कई महत्वपूर्ण सबक सामने आए हैं। इसका अनुभव भविष्य के युद्धों में काम आएगा। सेना प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि तकनीकी प्रगति और आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति के बाद भी पुरुष या महिलाओं के लिए बंदूक का महत्व कम भी नहीं हुआ।
28 देशों के कैडेट्स भी अकादमी से पास आउट
जनरल पांडे अपनी पत्नी अर्चना पांडे के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने अच्छा प्रदर्शन करने वाले कैडेटों को पुरस्कार प्रदान किए। अकादमी का सर्वश्रेष्ठ पुरुस्कार स्वॉर्ड ऑफ ऑनर सीनियर अंडर ऑफिसर डब्ल्यूजे क्लार्क को दिया गया। सैन्य, शैक्षणिक और व्यवहारिक रूप के पयमाने पर कैडेट ग्रिम्बलडेस्टन-चेरी को रानी का पदक दिया गया। जाम्बिया के अधिकारी कैडेट डैनियल चिंटू को अंतर्राष्ट्रीय तलवार को प्रदान की गई। इस सम्मान का अर्थ है- सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय कैडेट। अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार सैन्य, शैक्षणिक और व्यावहारिकता के पयमाने पर जर्मनी के अधिकारी कैडेट पॉल मिल्बर्स को पुरस्कृत किया गया। ब्रिटिश सैन्य कैडेट्स के अलावा, अकादमी से इथियोपिया, पापुआ न्यू गिनी जैसे दूर-दराज के 28 देशों के 43 अंतर्राष्ट्रीय कैडेट भी पासआउट हुए। अब वे अपनी-अपनी सेनाओं में अधिकारी के रूप में शामिल होने के लिए लौट जाएंगे।