ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक
– फोटो : फेसबुक/ऋषि सुनक
विस्तार
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने मंगलवार को कहा कि उनका हिंदू धर्म उनके जीवन के हर पहलू में उनका मार्गदर्शन करता है और उन्हें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में सर्वश्रेष्ठ करने का साहस देता है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के जीसस कॉलेज में आध्यात्मिक नेता मोरारी बापू द्वारा ‘राम कथा’आयोजित की जा रही है। इस कार्यक्रम में भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री भी पहुंचे हुए थे।
भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस कार्यक्रम में सुनक ने कहा, मैं आज यहां एक प्रधानमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक हिंदू के रूप में आया हूं। मेरे लिए धर्म बहुत व्यक्तिगत मामला है। यह मेरे जीवन के हर पहलू में मेरा मार्गदर्शन करता है। प्रधानमंत्री बनना एक बहुत बड़ा सम्मान है, लेकिन यह आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि कठिन फैसले लेने होते हैं, कठिन विकल्प होते हैं और मेरा धर्म मुझे अपने देश के लिए सर्वश्रेष्ठ करने के लिए साहस और शक्ति देता है।
That’s UK Prime Minister Rishi Sunak, attending Ram Katha with Morari Bapu
Be Proud & Unapologetic
Listen to that Powerful ‘Jai Shree Ram’ ❤️pic.twitter.com/vXPHHLJhV3
— Ravisutanjani (@Ravisutanjani) August 15, 2023
उन्होंने उस विशेष क्षण को भी साझा किया जब उन्होंने पहले 2020 में पहले भारतीय ब्रिटिश चांसलर के रूप में 11 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर पहली बार दिवाली के दीये जलाए थे। मोरारी बापू की राम कथा की पृष्ठभूमि में भगवान हनुमान की एक बड़ी सुनहरी छवि की ओर इशारा करते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उन्हें याद दिलाता है कि कैसे ’10 डाउनिंग स्ट्रीट पर उनकी मेज पर सोने के गणेश खुशी से बैठते हैं।
उन्होंने कहा, यह मुझे कुछ भी करने से पहले मुद्दों को सुनने और उन पर फोकस करने के बारे में लगातार याद दिलाता है। अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति और बच्चों कृष्णा और अनुष्का के साथ अमेरिका में छुट्टियां मनाकर लौटे सुनक ने कहा कि उन्हें ब्रिटिश और हिंदू होने पर गर्व है। उन्होंने साउथेम्प्टन में अपने बचपन के दिनों को याद किया जहां वह अक्सर परिवार के साथ अपने पड़ोस के मंदिर जाते थे।
सुनक ने कहा, मेरे पास साउथेम्प्टन में मंदिर में जाने की बहुत अच्छी यादें हैं। मेरे माता-पिता और परिवार हवन, पूजा, आरती का आयोजन करते थे। मैं अपने भाई और बहन और चचेरे भाइयों के साथ दोपहर का भोजन और प्रसाद को बांटने में मदद करता था। उन्होंने कहा, बापू को उनके जीवन के प्रत्येक दिन जो मैं देखता हूं, वे निस्वार्थ सेवा, भक्ति और विश्वास रखने के मूल्य हैं। लेकिन शायद सबसे बड़ा मूल्य कर्तव्य या सेवा है। ये हिंदू मूल्य साझा ब्रिटिश मूल्य हैं।