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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को ब्राजील के प्रस्ताव पर मतदान हुआ। इस प्रस्ताव में इस्राइल के खिलाफ हमास के हमलों और नागरिकों के खिलाफ सभी हिंसा की निंदा की गई थी। साथ ही गाजा में फलस्तीनियों को मानवीय सहायता देने का आग्रह किया गया था। इस प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो कर दिया।
15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में मतदान के दौरान प्रस्ताव के पक्ष में 12 वोट पड़े। वहीं, रूस और ब्रिटेन इस दौरान अनुपस्थित रहे। पांच स्थायी सदस्यों में से शामिल अमेरिका ने प्रस्ताव के खिलाफ वीटो कर कर दिया। इस कारण सुरक्षा परिषद प्रस्ताव को अपनाने में विफल रही। बता दें कि वैश्विक निकाय में किसी भी प्रस्ताव के लिए उसके पक्ष में कम से कम नौ वोट होने चाहिए। साथ ही पांच स्थायी सदस्यों में से किसी से भी एक भी वीटो नहीं होना चाहिए।
अमेरिकी राजदूत ने कही ये बात
मतदान के बाद अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन इस संघर्ष को कूटनीति से हल करने में लगे हैं। ऐसे में हमें उस कूटनीति को निभाने की ज़रूरत है। उन्होंने इस्राइल के आत्मरक्षा के अधिकार के बारे में कुछ नहीं कहने के लिए प्रस्ताव की भी आलोचना की।
गौरतलब है कि ब्राजील के पास इस महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता है। उसके संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कहा कि मतदान के बाद एक आपातकालीन बैठक होगी। इसमें मरीजों, रिश्तेदारों और आश्रय की तलाश कर रहे फलस्तीनियों से भरे गाजा शहर के अस्पताल में मंगलवार को हुए भारी विस्फोट और आग पर चर्चा की जाएगी।
रूस का प्रस्ताव पहले हो चुका है खारिज
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में सोमवार रात गाजा में जारी हिंसा पर लाया गया रूस का प्रस्ताव खारिज हो गया था। दरअसल रूस के प्रस्ताव में गाजा में आम नागरिकों के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा करते हुए युद्धविराम की मांग की गई थी, लेकिन इसमें हमास या उसके द्वारा इस्राइली नागरिकों पर किए गए बर्बर हमले का जिक्र ही नहीं किया गया था। ऐसे में पश्चिमी देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पास होने के लिए 9 वोटों की जरूरत थी लेकिन प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ चार देशों ने मतदान किया। वहीं चार देशों ने इसके खिलाफ वोट दिया।
इन देशों ने किया था रूसी प्रस्ताव का समर्थन
रूसी प्रस्ताव के समर्थन में जिन देशों ने वोट किया, उनमें चीन, संयुक्त अरब अमीरात, मोजाम्बिक और गैबोन शामिल हैं। वहीं प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और फ्रांस शामिल हैं। छह अन्य देश मतदान में शामिल ही नहीं हुए। बता दें कि इस्राइल और हमास के बीच छिड़ी लड़ाई को लगभग दो हफ्ते का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक संयुक्त राष्ट्र की सबसे अहम निकाय सुरक्षा परिषद, जिस पर वैश्विक शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वह इस हिंसा को रोकने में विफल रही है। बीती सात अक्तूबर को फलस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इस्राइली सीमा में घुसकर 1400 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। वहीं इस्राइल के जवाबी हमले में अब तक गाजा पट्टी में 2750 के करीब लोगों की जान जा चुकी है।