मृतक गुलनाज और रमेश उर्फ करन की फाइल फोटो
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शादी के बाद से ही गुलनाज डरी-सहमी रहती थी। उसे हर दिन विवाद बढ़ने का डर रहता था। पड़ोसियों का कहना है कि कई बार गुलनाज ने मायके वालों को मनाने की भी कोशिश की। लेकिन वह नहीं माने एक दिन मुंबई से एक फोन आया कि मां ने दोनों को बुलाया है।
वह खुश थी कि परिवार वाले शायद माने गये। पति रमेश को भी मुंबई जाने के लिए मना लिया, लेकिन उसे क्या पता था कि इस संदेश के बहाने बुलाकर परिवार के लोग दोनों का कत्ल कर देंगे। बांदा जिले में चिल्ला कस्बे के रमेश को कस्बे से करीब आधा किलोमीटर दूर स्थित मदनपुर गांव की गुलनाज से प्रेम प्रसंग था।
मस्जिद के बगल में उसकी गुमटी थी और आसपास शृंगार व ज्वेलरी की दुकानें थीं। गुलनाज वहां खरीदारी करने आती थी। पड़ोसी ने बताया कि यहीं दोनों के बीच जान-पहचान हुई। धर्म अलग-अलग होने की वजह से एक होने से डरते थे। पिछले साल दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली।