UP BJP
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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अगले कुछ महीनों के भीतर देश के चार अलग-अलग राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा की जारी पदाधिकारियों की नई सूची में न सिर्फ विधानसभा के इन चार राज्यों ही नहीं बल्कि लोकसभा के लिहाज से बड़ी फील्डिंग सजाई गई है। खासतौर से उत्तर प्रदेश पर ध्यान रखते हुए एक बार फिर से सियासी समीकरणों की डोर को मजबूत करने की कोशिश की गई है। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पदाधिकारियों की संख्या तो बढ़ाई ही गई है, बल्कि सियासी समीकरणों के लिहाज से इस बार पार्टी ने न सिर्फ अपने मुस्लिम नेता पर दांव लगाया है, बल्कि और सियासी समीकरण भी साधे हैं।
पहले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एक थे इस बार तीन
भाजपा ने लोकसभा के चुनावों के लिहाज से उत्तर प्रदेश में बड़े सियासी समीकरण बनाए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की संख्या बढ़ाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि संगठन में उत्तर प्रदेश का कद कितना बड़ा है और कितना बढ़ रहा है। पार्टी ने इस बार सियासी समीकरणों को साधते हुए उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की संख्या तीन कर दी है। पिछली कार्यकारिणी में उत्तर प्रदेश से पिछड़ा समुदाय की रेखा वर्मा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुआ करती थीं। इस बार पार्टी ने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेई को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अहम जिम्मेदारी दी है। इसके अलावा पार्टी ने भाजपा में बड़े मुस्लिम चेहरे के तौर पर उभर रहे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर तारिक मंसूर को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है।
भाजपा की नई कार्यकारिणी में उत्तर प्रदेश से इस बार कई प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है। वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक बृजेश शुक्ला कहते हैं कि पार्टी ने इस बार जिन नामों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया है, उससे उत्तर प्रदेश में सियासी संतुलन भी बनाया गया है। वह कहते हैं कि जिस तरीके से तारिक मंसूर को पहले एमएलसी और फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है, उससे संदेश स्पष्ट है कि भाजपा इस बार मुसलमानों के प्रति न सिर्फ गंभीर है, बल्कि उनके नेताओं को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर लोकसभा चुनावों में उनकी मजबूत सहभागिता के भी संदेश दिए हैं। ब्रजेश शुक्ला कहते हैं कि पसमांदा समाज से ताल्लुक रखने वाले तारिक राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण जगह देकर आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के 80 फ़ीसदी से ज्यादा मुसलमानों को सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी ने संदेश दिया है।
सियासी संतुलन बनाने की कोशिश
भाजपा में नई कार्यकारिणी में ब्राह्मण समाज को भी मजबूती से जोड़ने की पूरी रणनीति बनाई है और वह इस कड़ी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख भाजपा के चेहरे लक्ष्मीकांत वाजपेई को ना सिर्फ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है, बल्कि इससे पहले राज्यसभा का सांसद बना कर एक बड़ा संदेश दिया था। राजनीतिक विश्लेषक ओपी मिश्रा कहते हैं कि लक्ष्मीकांत वाजपाई भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख चेहरे हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद वाजपेई एक तरह से सियासी वनवास काट रहे थे। लेकिन उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाने के साथ ही पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारियां देनी शुरू कीं, और अब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर सियासी संतुलन बनाया है। इसी तरह पार्टी में जाट और गुर्जरों को भी राजनीतिक लिहाज से साधने की पूरी कोशिश की है। पार्टी ने सुरेंद्र सिंह नागर को राष्ट्रीय सचिव बनाकर गुर्जरों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने की पूरी सियासी फील्डिंग सजाई है।
इसी तरीके से भाजपा ने पूर्वांचल में भी सियासी समीकरणों को दुरुस्त करते हुए राधा मोहन अग्रवाल को बड़ी जिम्मेदारी दी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राधा मोहन अग्रवाल को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह देकर भाजपा ने पूर्वांचल में एक साथ कई सियासी समीकरणों को साधा है। वरिष्ठ पत्रकार ओपी मिश्रा कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लंबे समय तक गोरखपुर के विधायक रहे अग्रवाल को न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि उनके पूरे समुदाय में सियासी तालमेल के लिहाज से भी अहम जिम्मेदारी दी गई है।