सांकेतिक तस्वीर।
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बलिया में गंगा पुल के निर्माण में 18 करोड़ के घपले से जुड़े दस्तावेज ही गायब हैं। इस मामले में जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। कहा है कि जिस मद में घपला बताया जा रहा है, उस पर शासन की परियोजना मूल्यांकन समिति का भी कमेंट लिया जाए। इससे गड़बड़ियां किए जाने का शक और भी गहरा गया है।
बलिया में श्रीरामपुर घाट पर गंगा पर करीब 2.5 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण कराया गया है। यह काम वर्ष 2014 में मंजूर हुआ था। 2016 में संशोधित एस्टीमेट और 2019 में पुनः संशोधित एस्टीमेट मंजूर किया गया। पुनः संशोधित एस्टीमेट 442 करोड़ रुपये रखा गया, जबकि नियमानुसार यह 424 करोड़ रुपये का होना चाहिए था।
इस मामले का खुलासा सेतु निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक (वाणिज्य) ने किया था। पुनः पुनरीक्षित स्वीकृति में बिल ऑफ क्वांटिटी (बीओक्यू) में 16.71 करोड़ का डिजाइन चार्ज के मद में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने से निगम और शासन को यह नुकसान हुआ। जीएसटी लगाकर यह राशि करीब 18 करोड़ रुपये बनती है। मुख्य परियोजना प्रबंधक (वाणिज्य) ने मामले की जांच उच्चस्तरीय एजेंसी से कराने की संस्तुति की थी।
बाद में यह जांच सेतु निगम के संयुक्त प्रबंध निदेशक को सौंपी गई। लेकिन, डिजाइन चार्ज से संबंधित दस्तावेज न तो आजमगढ़ में मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालय से उपलब्ध कराए जा सके और न ही यह सेतु निगम मुख्यालय में उपलब्ध हैं। ऐसे में जांच हो पाना मुमकिन नहीं हो सका। इसलिए संयुक्त प्रबंध निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह प्रस्ताव शासन की व्यय वित्त समिति में भी गया था। इसलिए इस पर परियोजना मूल्यांकन समिति का राय ले लेना भी उचित रहेगा, ताकि सही स्थिति सामने आ सके।