Leonard Mack
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अमेरिका से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। यहां एक व्यक्ति ने जो अपराध किया भी नहीं, उसके लिए उसे करीब साढ़े सात साल जेल की सजा काटनी पड़ी। इतना ही नहीं, शख्स को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए 47 साल लग गए। दरअसल, सन् 1975 में न्यूयॉर्क के एक व्यक्ति को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अब उसे नए डीएनए जांच के आधार पर बरी कर दिया गया है।
72 साल की उम्र में मिला न्याय
कहते हैं ना कि सच एक न एक दिन सामने आ जाता है। यह अमेरिका के इस मामले से सिद्ध भी हो गया। न्यूयॉर्क राज्य के ग्रीनबर्ग में करीब पांच दशक पहले लियोनार्ड मैक, जो अब 72 साल के हैं, उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने स्कूल जा रही एक किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। करीब 50 साल की लंबी लड़ाई के बाद दोषमुक्त होने पर मैक ने कहा कि आखिरकार मैं स्वतंत्र हूं।
यह है मामला
बयान में कहा गया है कि न्यूयॉर्क राज्य के ग्रीनबर्ग में 22 मई 1975 में स्कूल से घर जा रहीं दो किशोर लड़कियों को एक अनजान शख्स ने रोक लिया था। इनमें से एक के साथ दुष्कर्म किया, जबकि दूसरी लड़की भागकर स्कूल पहुंच गई और शिक्षक को पूरी बात बताई। शिक्षक ने तुरंत पुलिस को फोन किया। यह हमला श्वेत बहुल इलाके में हुआ था।
ढाई घंटे की तलाश के बाद गिरफ्तार
ग्रीनबर्ग पुलिस विभाग ने तुरंत जांच शुरू की। उन्हें 20 साल के एक अश्वेत व्यक्ति की तलाश थी। इस दौरान पुलिस को पड़ोस में गाड़ी चला रहे लियोनार्ड मैक दिखे। हालांकि, वह संदिग्ध से अलग कपड़े पहने हुए थे, फिर भी पुलिस ने ढाई घंटे की तलाश के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि मैक अफ्रीकी-अमेरिकी थे।
एक अन्य अपराधी की पहचान
वेस्टचेस्टर काउंटी अभियोजक के कार्यालय ने कहा कि उस समय डीएनए जांच उपलब्ध नहीं था, जिसकी वजह से मैक को अपराधी मान लिया गया और उन्हें जेल की सजा काटनी पड़ी। हालांकि, इस बीच मैक अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए लड़ते रहे। अब डीएनए जांच से सच सामने आ गया है। मैक को अदालत ने बेगुनाह घोषित किया है। वहीं, एक अन्य अपराधी की पहचान कर ली है, जिसने अपना अपराध कबूल लिया है।
सबसे लंबी गलत सजा
जिला अटॉर्नी के कार्यालय ने मैक की लगभग 50 वर्षों की लड़ाई का हवाला देते हुए कहा कि यह अमेरिका के इतिहास में इनोसेंस प्रोजेक्ट के लिए डीएनए साक्ष्य द्वारा पलट दी गई सबसे लंबी गलत सजा है।
अब तक दोषी सिद्ध किए निर्दोष 575 लोगों को किया बरी
गौरतलब है, नेशनल रजिस्ट्री ऑफ एक्सोनरेशन्स के अनुसार सन् 1989 से अब तक 575 गलत तरीके से दोषी ठहराए गए लोगों को नए डीएनए परीक्षणों के आधार पर बरी कर दिया गया है। इनमें से 35 फांसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि निर्दोष श्वेत लोगों की तुलना में अश्वेत लोगों को सजा देने की संभावना अधिक है। हालांकि, अमेरिका की कुल आबादी में अश्वेत की हिस्सेदारी केवल 13.6 प्रतिशत है। वहीं, 1989 से 2022 के बीच जिन 3,300 लोगों की सजा पलटी गई, उनमें से आधे से अधिक अश्वेत थे