US: PM मोदी की यात्रा के कुछ दिनों बाद यूएस ने भारत को लौटाए 105 पुरावशेष, 2016 से अब तक 278 कलाकृतियां सौंपी

US: PM मोदी की यात्रा के कुछ दिनों बाद यूएस ने भारत को लौटाए 105 पुरावशेष, 2016 से अब तक 278 कलाकृतियां सौंपी



अमेरिका ने तस्करी की गई 105 पुरावशेष वस्तुएं भारत को सौंपीं
– फोटो : PTI

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून में अमेरिका की राजकीय यात्रा के कुछ दिनों बाद दूसरी-तीसरी शताब्दी ईस्वी से लेकर 18वीं-19वीं शताब्दी ईस्वी तक की कुल 105 पुरावशेषों को अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारत वापस भेजा जा रहा है। अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू, महावाणिज्यदूत रणधीर जयसवाल और मैनहट्टन जिला अटॉर्नी कार्यालय के अधिकारियों की उपस्थिति में न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास में आयोजित एक विशेष प्रत्यावर्तन समारोह में अमेरिका द्वारा कुछ मूल्यवान भारतीय पुरावशेष सौंपे गए। 

भारत के महावाणिज्य दूतावास ने कहा कि इन पुरावशेषों को जल्द ही भारत ले जाया जाएगा। 105 कलाकृतियां भारत में उनकी उत्पत्ति के संदर्भ में व्यापक भौगोलिक विस्तार का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनमें से लगभग 50 कलाकृतियां धार्मिक विषयों (हिंदू धर्म, जैन धर्म और इस्लाम) से संबंधित हैं और बाकी सांस्कृतिक महत्व की हैं।

 

समारोह को संबोधित करते हुए संधू ने कहा कि भारत वापस लाई जा रही ये पुरावशेषें सिर्फ कला नहीं बल्कि हमारी विरासत, संस्कृति और धर्म का हिस्सा हैं। संधू ने कहा कि जब यह खोई हुई विरासत घर लौटेगी, तो इसका बहुत ही भावुकता के साथ स्वागत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन पुरावशेषों को जल्द ही भारत ले जाया जाएगा।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 105 कलाकृतियां भारत में अपनी उत्पत्ति के संदर्भ में व्यापक भौगोलिक विस्तार का प्रतिनिधित्व करती हैं – जिनमें से 47 पूर्वी भारत से, 27 दक्षिणी भारत से, 22 मध्य भारत से, छह उत्तरी भारत से और तीन पश्चिमी भारत से हैं। इसमें कहा गया है कि दूसरी-तीसरी शताब्दी ईस्वी से लेकर 18वीं-19वीं शताब्दी ईस्वी तक की अवधि की ये कलाकृतियां टेराकोटा, पत्थर, धातु और लकड़ी से बनी हैं। 

पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान भारतीय नेता ने इन सांस्कृतिक संपत्तियों की वापसी में मदद करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया था। संधू ने मैनहट्टन जिला अटॉर्नी कार्यालय के प्रति आभार व्यक्त किया और होमलैंड सुरक्षा अधिकारियों और अन्य एजेंसियों को इन कलाकृतियों को भारत वापस लाने में मदद करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता और प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध व्यापार को रोकने के लिए भारत और अमेरिका सांस्कृतिक संपत्ति समझौते की दिशा में काम करने पर सहमत हुए हैं। इससे हमारी एजेंसियों के बीच सहयोग और मजबूत होगा और तस्करों के लिए कानूनों से बचना कठिन हो जाएगा। संधू ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत की वापसी अमेरिका में हमारे दोस्तों और साझेदारों की सद्भावना की स्पष्ट अभिव्यक्ति है।

मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी कार्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ जॉर्डन स्टॉकडेल ने कहा कि एक दशक से अधिक समय से एजेंसी ने होमलैंड सिक्योरिटी के साथ मिलकर दुनिया भर से कलाकृतियों को अवैध रूप से लूटने और बेचने के लिए तस्कर सुभाष कपूर और उसके सह-साजिशकर्ताओं की जांच की है। स्टॉकडेल ने कहा कि पिछले साल अमेरिका ने 300 से अधिक पुरावशेष भारत वापस भेजे थे। फिर भी हमारे पास अभी भी 1400 से अधिक बरामद वस्तुएं हैं जिन्हें हमें अभी तक आधिकारिक तौर पर वापस नहीं भेजा गया है।

उन्होंने कहा कि हम व्हाइट हाउस में कहे गए प्रधानमंत्री मोदी के करुणा भरे शब्दों की गहराई से सराहना करते हैं और वे घनिष्ठ सहयोग को दर्शाते हैं जिसके कारण हजारों भारतीय पुरावशेषों की सफलतापूर्वक पुनर्प्राप्ति हुई है। हम कपूर जैसे स्वार्थी तस्करों को देशों से उनकी बहुमूल्य सांस्कृतिक विरासत लूटने की अनुमति नहीं देंगे। गौरतलब है कि भारत चोरी हुई भारतीय पुरावशेषों, समृद्ध भारतीय विरासत और संस्कृति के जीवंत प्रतीकों को विदेशों से वापस लाने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच पुरावशेषों की बहाली पर सहयोग घनिष्ठ हुआ है।

प्रधानमंत्री मोदी की 2016 की अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिका की ओर से 16 प्राचीन वस्तुएं सौंपी गई थीं। इसी तरह 2021 में अमेरिकी सरकार ने 157 कलाकृतियां सौंपीं थीं, जो सितंबर 2021 में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के बाद भारत आई थीं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन 105 पुरावशेषों के साथ अमेरिकी पक्ष ने 2016 से अब तक भारत को कुल 278 सांस्कृतिक कलाकृतियां सौंपी हैं।





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