ज्ञानवापी परिसर
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ज्ञानवापी को वास्तविक रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर घोषित करके पूजा की अनुमति देने से संबंधित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई। सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट आकाश वर्मा की अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनी और आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली। मामले में जल्द ही आदेश आ सकता है।
बजरडीहा के विवेक सोनी व नेवादा के जयध्वज श्रीवास्तव ने अदालत में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी को पक्षकार बनाते हुए वाद दाखिल किया था। इस पर मंगलवार को अदालत में बहस हुई। वादी के अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव व नित्यानन्द राय ने कहा कि आदि विश्वेवर ज्योतिर्लिंग काशी में है, जिसका स्वरूप बदला गया है। 16 मई 2922 में कोर्ट कमिश्नर के सर्वे के दौरान शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। अब ज्योतिर्लिंग के पूजा पाठ, शयन व मंगला आरती, दुग्धाभिषेक आदि की अनुमति मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी शिवलिंग को सुरक्षित रखने के आदेश दिए हैं।
मालिकाना हक घोषित करने की मांग पर अब 19 अगस्त को सुनवाई
ज्ञानवापी से जुड़े ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर की तरफ से दाखिल वाद पर मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई। इसके जरिये ज्ञानवापी का मालिकाना हक हिन्दू पक्ष को देने का अनुरोध किया गया है। साथ ही भव्य मंदिर निर्माण में केंद्र व राज्य सरकार से सहयोग और 1993 में की गई बैरिकेडिंग को हटाने की मांग की गई है। अब मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी।
बड़ी पियरी निवासी अधिवक्ता अनुष्का तिवारी और इंदु तिवारी की तरफ से यह वाद अधिवक्ता शिवपूजन सिंह गौतम, शरद श्रीवास्तव व हिमांशु तिवारी ने दाखिल किया है। इस वाद के समर्थन में कहे गए साक्ष्य की प्रति आपत्ति के लिए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से मांगा गया था। इसमें याचिकाकर्ता पक्ष ने प्रति उत्तर में कहा था कि जिन साक्ष्यों का जिक्र किया गया है, वह ऐतिहासिक हैं। सार्वजनिक हैं। उसे अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी खुद प्राप्त कर सकती है। यह सिर्फ मामले को विलंबित किए जाने के लिए आवेदन दिया गया है।