येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ अर्थात जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना…। भाई के यश, सौभाग्य और धन-धान्य की कामना से बहनों ने भाइयों की कलाई पर प्रेम का रक्षासूत्र बांधकर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया। कहीं ढेरों शुभकामनाएं तो कहीं आशीर्वाद बरसा।बुधवार को श्रवण नक्षत्र युक्त श्रावण शुक्ल पूर्णिमा की तिथि पर रात्रि में 8:58 बजे के बाद भाइयों की कलाईयां बहनों के प्रेम से सज गईं। भद्रा के कारण बहनों को सुबह से लंबा इंतजार करना पड़ना। शुभ मुहूर्त आरंभ होने के साथ ही रक्षाबंधन का त्योहार भी शुरू हो गया जो देर रात तक अनवरत जारी रहा। बहनों ने पहले अपने आराध्य को रक्षासूत्र अर्पित किया। इसके बाद घरों में रक्षाबंधन का त्योहार शुरू हुआ। शहर के मंदिरों में राखी चढ़ाने के लिए भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। बहनों ने राखी का थाल सजाए। रंग-बिरंगी राखियों से सजी थाली में अक्षत-चंदन, हल्दी-रोरी, दही, मिठाई और दीप जलाया। बहनों ने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारी और हाथों में राखी बांधकर मुंह मीठा कराया। भाइयों ने भी बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन भी दोहराया।
आज भी मनेगा रक्षाबंधन का पर्व
पूर्णिमा की तिथि 31 अगस्त की सुबह तक होने से कई घरों में बृहस्पतिवार को रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाएगा। पूर्णिमा की तिथि सुबह 7:45 तक होने के कारण इसके पहले रक्षाबंधन होगा।