शहीद गौतम गुरुंग।
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अमर शहीद गौतम गुरुंग की सांसें जहां देश के काम आईं वहीं अब उनकी यादें भी कइयों की जिंदगी संवार रही है। कारगिल की जंग में पांच अगस्त 1999 को बंकर में फंसे आठ साथियों को बचाने के दौरान रॉकेट लांचर से घायल हुए गौतम शहीद हो गए।
इसके बाद देश सेवा के जज्बे को रिटायर्ड ब्रिगेडियर पिता ने आगे बढ़ाया और शहादत पर मिली आर्थिक सहायता और पेंशन की रकम को कईयों की जिंदगी संवारने का जरिया बना डाला।
भारत नेपाल मैत्री समाज के अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि शहीद के ब्रिगेडियर पिता ने देहरादून में बेटे के नाम पर शहीद गौतम गुरुंग ट्रस्ट की स्थापना की है। उनके नाम पर वहां बॉक्सिंग क्लब भी चल रहा। यहां से प्रशिक्षित कई युवा सरकारी नौकरी में हैं।
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