खोदाई में मिले अवशेष।
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श्रीरामजन्मभूमि परिसर में की गयी खोदाई में मिले प्राचीन मंदिर के अवशेषों की एक तस्वीर सामने आई है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोशल मीडिया पर बुधवार को यह तस्वीर जारी की है। इस तस्वीर में खोदाई के दौरान मिले अवशेष दिखाई दे रहे हैं। इनमें से कुछ अवशेष दो हजार साल पुराने बताए जाते हैं, जिनका दर्शन रामलला के भक्त कर सकेंगे। यही साक्ष्य सुप्रीम कोर्ट से राममंदिर के हक में आए फैसले का आधार भी बने थे।
अवशेषों में काली कसौटी के पत्थर से बने पिलर यानी खंभे, पिंक सैंड स्टोन की बनी देवी-देवताओं की मूर्तियां, मिट्टी के कलश और मंदिर में लगे नक्काशीदार पत्थरों के टुकड़े शामिल हैं। इन अवशेषों को रामलला के अस्थायी मंदिर के निकास द्वार के पास सुरक्षित रखा गया है। रामलला के दर्शन कर निकलने के बाद भक्तों को यह गैलरी मिलती है। इन अवशेषों में कुछ 2003 में एएसआई द्वारा की गई राजन्मभूमि परिसर के चारों ओर की गयी खोदाई में मिले थे तो कुछ राममंदिर के निर्माण के लिए नींव खोदाई के दौरान प्राप्त हुए थे।
रिपोर्ट बनी थी आधार
संघ के इतिहास संकलन समिति अवध प्रांत की उपाध्यक्ष इतिहासविद प्रज्ञा मिश्रा बताती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पांच मार्च 2003 को रामजन्मभूमि परिसर की खोदाई शुरू की थी। करीब पांच माह तक की गयी खोदाई के बाद तमाम अवशेष मिले थे। एएसआई ने 22 अगस्त 2023 को न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें संबंधित स्थल पर जमीन के नीचे एक विशाल हिंदू धार्मिक ढांचा यानि मंदिर होने की बात कही थी। मंदिर के हक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दौरान भी यह रिर्पोट आधार बनी थी।
मिले थे 84 स्तंभ
राममंदिर में प्रयुक्त कसौटी के स्तंभों का जिक्र लोमश रामायण में मिलता है। रामजन्मभूमि का रक्तरंजित इतिहास पुस्तक में भी जिक्र है कि प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान महाराज विक्रमादित्य ने रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण शुरू कराया था। नींव की खोदाई के दौरान कसौटी पत्थर के 84 स्तंभ मिले थे और विक्रमादित्य ने इन्हीं स्तंभों पर भव्य मंदिर बनवाया था। 1528 में मीर बाकी के हमले के बाद भी 84 स्तंभों में से कई का वजूद रहा। मीर बांकी इनमें से 12 स्तंभों के सहारे मस्जिद का आकार दिया था। 2003 में हुई खोदाई के दौरान कई कसौटी के खंभे मिले थे।
संत बोले मंदिर आंदोलन के संघर्ष के गवाह हैं अवशेष
रामनगरी के संतों ने इन अवशेषों को हजारों साल पुराना बताया है। महंत डॉ़ भरत दास ने कहा कि यही अवशेष मंदिर के हक में फैसले का आधार बने थे। ये अवशेष नहीं है, बल्कि विरासत हैं। इस विरासत के इतिहास से सबको परिचित होना चाहिए। धर्म ध्वजाधारी परिषद के अध्यक्ष महंत बृजमोहन दास बोले कि तस्वीर ने एक बार फिर मंदिर आंदोलन की स्मृति को जीवंत कर दिया। युवा पीढ़ी को भी मंदिर आंदोलन के पांच सदी तक चले संघर्ष के बारे में जानना चाहिए। महंत जयरामदास ने कहा कि ये अवशेष उस संघर्ष के गवाह हैं जिसमें लाखों हिंदुओं का बलिदान हुआ है। सदियों का संकल्प साकार हो रहा है तो उसके पीछे एक लंबा संघर्ष है।
50 की संख्या में हैं अवशेष
खोदाई के दौरान मिले अवशेषों की संख्या करीब 50 है। इनमें 8 टूटे खंभे, 6 खंडित मूर्तियां, 5-6 मिट्टी के बर्तन और 6-7 कलश हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने जो तस्वीर जारी की है उसमें एएसआई की खोदाई के दौरान मिले कसौटी के खंभे सहित अन्य अवशेष भी शामिल हैं।
हमारी विरासत हैं अवशेष
एएसआई व मंदिर की नींव खोदाई के दौरान मंदिर के जो भी अवशेष मिले हैं, वे हमारी विरासत हैं। पांच सदी के संघर्ष के भी गवाह हैं, रामजन्मभूमि में संग्रहालय बनाकर इन अवशेषों केा सुरक्षित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढि़यां भी मंदिर आंदोलन के संघर्ष व इतिहास से रू-ब-रू हो सकें- चंपत राय, महासचिव, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट