असहयोग आंदोलन: गांधी जी ने मुरादाबाद पहुंचकर भरी थी हुंकार, ब्रज रतन पुस्तकालय आज भी दे रहा है इसकी गवाही

असहयोग आंदोलन: गांधी जी ने मुरादाबाद पहुंचकर भरी थी हुंकार, ब्रज रतन पुस्तकालय आज भी दे रहा है इसकी गवाही



मुरादाबाद स्थित ब्रज रत्न पब्लिक लायब्रेरी
– फोटो : संवाद

विस्तार


महात्मा गांधी यानी आजादी के संग्राम के वह महानायक जिनकी अगुवाई में पूरा देश बिना हथियारों के अंग्रेजी हुकूमत से जंग लड़ रहा था। अक्तूबर 1920 में उन्हीं राष्ट्रपिता ने मुरादाबाद आकर असहयोग आंदोलन की नींव रखी। उनके आह्वान पर छात्रों ने ब्रिटिश सरकार के स्कूल-कॉलेजों में जाना छोड़ दिया। वकीलों ने अदालतों में जाने से इन्कार कर दिया था।

अमरोहा गेट स्थित ब्रज रतन पुस्तकालय आज भी गांधी जी के मुरादाबाद आगमन की गवाही दे रहा है। 12 साल में गांधी जी यहां तीन बार आए और यहां के लोगों में स्वतंत्रता की ऐसी लौ जलाई जो सदा के लिए अमर हो गई। यही कारण था कि जब मार्च 1930 में बापू ने नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के खिलाफ साबरमती से दांडी तक की यात्रा की तो यहां भी लोग उसके समर्थन में उतरे।

सड़कों पर जनसैलाब उमड़ा, लोगों को अंग्रेजों की गोलियों का सामना करना पड़ा। गोलियों की गूंज के आगे लोगों के हौसले की आवाज नहीं दबी और भारत छोड़ों आंदोलन तक बलिदानों का सिलसिला चलता रहा। राष्ट्रपिता ने मुरादाबाद शहर और यहां के लोगों से प्रेम का जो संबंध बनाया वह आज भी दस्तावेजों में सहेजा हुआ है।

गांधी जी सितंबर 1920 में मुरादाबाद आए

गांधी जी सितंबर 1920 में मुरादाबाद आए थे। यहां उन्होंने डॉ. भगवान दास की अध्यक्षता में महाराजा टाकीज (वर्तमान में सरोज सिनेमा) में एक बैठक को संबोधित किया था, जिसमें असहयोग आंदोलन की भूमिका बनाई गई थी।

इस बैठक में बापू के साथ पं. मदन मोहन मालवीय, पं. जवाहर लाल नेहरू, डॉ. अंसारी, हकीम अजमत खां, मोहम्मद अली, शौकत अली आदि स्वतंत्रता सेनानी शामिल हुए थे। 12 अक्तूबर 1929 को महात्मा गांधी दूसरा बार मुरादाबाद आए।

यहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुवीर सरन खत्री, पं. शंकर दत्त शर्मा, प्रो. रामसरन, पं. बाबूराम शर्मा, अशफाक हुसैन, जगन्नाथ सिंघल, पं. बूलचंद दीक्षित, बनवारी लाल रहबर, आदि के नेतृत्व में शहर के लोगों का हुजूम गांधी जी के स्वागत में उमड़ा था।

खत्री की बग्गी में बैठकर अमरोहा गेट पहुंचे गांधी

बापू रघुवीर सरन खत्री की बग्गी में बैठकर अमरोहा गेट पहुंचे और पुस्तकालय का उद्घाटन किया। इस पुस्तकालय में महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित तमाम पुस्तकें उपलब्ध हैं। तीसरी बार महात्मा गांधी कांग्रेस पार्टी के कलकत्ता (कोलकाता) अधिवेशन में जाते समय कुछ समय मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर रुके थे। उन्होंने स्थानीय लोगों के निवेदन पर स्टेशन पर ही सभा को संबोधित किया था।

पहले भ्रमण पर ही शहर में तीन दिन रुके थे बापू

डॉ. मनोज रस्तोगी बताते हैं कि असहयोग आंदोलन की योजना पर पुनर्विचार और मूर्त रूप देने के लिए मुरादाबाद में कांग्रेस का संयुक्त प्रांतीय सम्मेलन नौ से 11 अक्तूबर 1920 को आयोजित किया गया था। नौ अक्टूबर की सुबह अली बंधुओं (शौकत अली व मोहम्मद अली) के साथ महात्मा गांधी मुरादाबाद आ गए थे।

महाराजा थिएटर (सरोज सिनेमा) में बाबू भगवान दास ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कलकत्ता (अब कोलकाता) में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तुत असहयोग आंदोलन की योजना पर मतभेदों और कांग्रेस से अलग हो गये उदारवादी नेताओं की चर्चा की।

अगले दिन यानी 10 अक्तूबर को इस पर विस्तृत चर्चा हुई। चर्चा के दौरान फिर तमाम मतभेद खुल कर सामने आये। बाद में प्रस्ताव पूर्ण बहुमत से पारित हो गया। सम्मेलन के अंतिम दिन 11 अक्तूबर को समापन सत्र में महात्मा गांधी ने कहा कि बहुत गंभीर चिंतन के बाद भी मैं यही मानता हूं कि देश की स्वतंत्रता का एकमात्र मार्ग असहयोग ही है।



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