बसपा सुप्रीमो मायावती।
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बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री ने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के बाद कार्यकर्ताओं को दिए अपने संदेश में कहा कि भाजपा और कांग्रेस में ओबीसी समाज का हितैषी बनने की होड़ मची है। उन्होंने ओबीसी की यूपी व राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना एवं सर्वे कराने की मांग करते हुए कहा कि इससे इंकार करने वाले आरक्षण विरोधी और जातिवादी सोच के लोग हैं। जो एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण को निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बनाने का षडयंत्र करते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि बसपा मूवमेंट के सामने जातिवादी, संक्रीर्ण, साम्प्रदायिक, पूंजीवादी एवं गरीब-विरोधी ताकतों की चुनौतियां बढ़ गयी हैं। अकूत धन व संसाधनों का दुरुपयोग करने के साथ ही उनके साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकंडों का बसपा द्वारा केवल अपनी एकजुटता, समर्पण तथा जनाधार को बढ़ाकर सामना किया जा सकता है। इस प्रकार, सामाजिक न्याय तथा इसी प्रकार इनके बहुप्रचारित विकास के इनके दावों का थोड़ा भी वास्तविक लाभ हकदारों व जरूरतमंदों को नहीं मिल पाता है। महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि बुनियादी जरूरतों की बदहाली का सबसे बुरा प्रभाव बहुजन समाज व अपरकास्ट के गरीबों को ही झेलना पड़ता है। जनहित व जनकल्याण में कांग्रेस व भाजपा दोनों कसूरवार व गुनहगार हैं। एससी-एसटी, ओबीसी तथा धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों को इसे समझना होगा। इन पार्टियों की साजिश व हवा-हवाई दावों और वादों से बचकर आगे की नीति, रणनीति बनानी होगी।
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कांशीराम का सम्मान नहीं लगा अच्छाउन्होंने कहा कि कांशीराम के सम्मान में बसपा सरकार द्वारा अनेकों भव्य व ऐतिहासिक महत्व के स्मारक, स्थल, पार्क आदि के साथ ही कई विश्वविद्यालय, कालेज, अस्पताल के साथ ही नये जिले आदि बनाए गए, जो उनके विरोधियों को अच्छा नहीं लगा। सपा सरकार ने कई के नाम बदल डाले। कांशीराम नगर जिले का नाम बदलने के साथ ही लखनऊ में स्थापित उर्दू, अरबी, फारसी यूनिवर्सिटी का नाम पहले सपा सरकार ने बदला, फिर भाजपा सरकार ने उसे भाषा विश्वविद्यालय बना दिया।
विरोधी दे रहे श्रद्धांजलि
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि कांशीराम को उनके घोर विरोधी दल बहुजन समाज के लोगों को गुमराह करने के उद्देश्य से श्रद्धांजलि देने के लिए दौड़ में लगे नजर आते हैं। इनमें अधिकतर वे लोग हैं, जिनकी सरकार ने उनके देहांत पर एक दिन का शोक पंजाब या यूपी में घोषित नहीं किया था। उनमें से अनेकों के बारे में कांशीराम ने स्वयं ’चमचा युग’ किताब लिखकर समाज को वैसे गुलाम व बिकाऊ तत्वों से सावधान किया था।