भन्ते सुमित रत्न
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यूनिफार्म सिविल कोड के खिलाफ बौद्ध समाज भी उतर आया है। भन्ते सुमित रत्न ने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड को देशहित में नही है। ये देश में तमाम धर्म के मानने वालों के लिये नुकसानदेह है। उन्होंने मणिपुर में महिलाओं के साथ की बर्बरता को शर्मनाक और बेहद दर्दनाक बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा समय में सत्ता में बैठे लोग हर समुदाय को एक दूसरे खिलाफ खड़ा करने में लगे हैं।
प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुये भन्ते समित रत्न ने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड देशहित में भी नहीं है, क्योंकि भारत विभिन्न धर्मों और विभिन्न संस्कृतियों का एक गुलदस्ता है और यही विविधता इसकी सुंदरता है, अगर इस विविधता को समाप्त कर दिया गया और उन पर एक ही क़ानून लागू किया गया तो यह आशंका है कि राष्ट्रीय एकता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि पर्सनल लॉ के संदर्भ में विभिन्न समूहों के दृष्टिकोण पर विचार करना ज़रूरी है और यही संविधान की भावना है। उन्होंने कहा कि सरकार समान नागरिक संहिता के लिये संविधान के अनुच्छेद 44 का हवाला दे रही जबकि वो बाध्यकारी नही है।
वहीं संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 सभी देशवासियों को अपना धर्म और परंपराओं को मानने और उस पर अमल करने का अधिकार देता है, जो बाध्यकारी भी है। उन्होंने सरकार संविधान के साथ छेड़छाड़ कर मनमाने तरीके से नियम और परंपरायें थोपना बंद करे। उन्होंने कहा जब 21वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता को देश के लिये गैरजरूरी बता चुका है तो उस पर जबरस्ती चर्चा क्यों हो रही है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता पर सरकार को पहले मसौदा लाकर चर्चा करानी चाहिये, जब सभी लोग संतुष्ट हो तब समान नागरिक संहिता बनाई जाये। इस मौके पर भारतीय सविंधान सम्मान समिति के प्रचारक रामलौट बौद्ध, भन्ते बोधिसत्व, प्रकाश रत्न गौतम, ओम प्रकाश बौद्धाचार्य, हरिलाल बौद्ध, मदन वर्मा, दिनेश आदि लोग मुख्य रूप से मौजूद रहे।
नारियों पर दोहरा चरित्र बंद होना चाहिये
भन्ते सुमित रत्न ने मणिपुर की घटना को शर्मनाक बताते हुये कहा कि एक तरफ नारियों की पूजा की जाती है तो वहीं उन्हें निवृस्त्र किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के दोहरा चरित्र खत्म नही हुआ तो मणिपुर जैसे हालात पूरे देश में होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार मणिपुर जैसे हालात पूरे देश में बनाना चाहती है।