प्रतीकात्मक तस्वीर।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उच्च न्यायालय में सरकारी वकीलों की तैनाती (आबद्धता) में अपनाई जाने वाली पूरी प्रक्रिया पेश करने का आदेश दिया है। पहले तीन बार सरकारी वकीलों की आबद्धता में अपनाई गई प्रक्रिया को भी राज्य सरकार प्रस्तुत करे।
कोर्ट ने सरकारी वकीलों की आबद्धता प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाले इस मामले में सात दिसंबर 2022 को दिए गए आदेश को लेकर हलफनामा भी पेश करने का निर्देश दिया। वहीं, सरकारी वकीलों के चयन संबंधी रिकॉर्ड पांच अक्तूबर तक विधि सचिव के जरिये पेश करने को कहा है। इसी दिन अगली सुनवाई भी होगी।
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न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश राम शंकर तिवारी व अन्य वकीलों की जनहित याचिका पर दिया। इसमें हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पैरवी के लिए एक अगस्त 2022 को तैनात किए गए वकीलों की आबद्धता प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी।
गौरतलब है कि कोर्ट ने 7 दिसंबर 2022 के आदेश में बदलते वक्त के साथ सरकारी वकीलों की आबद्धता प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव की जरूरत बताई थी। कहा था कि आबद्धता प्रक्रिया भरोसेमंद व मनमानेपन से मुक्त होनी चाहिए। इस टिप्पणी के साथ महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र को सरकारी वकीलों की मौजूदा आबद्धता प्रक्रिया पर गौर करने और अधिक ठोस व पारदर्शी प्रक्रिया बनाने को कहा था।