राजनीति: निज्जर को कनाडा में मिली भरपूर मदद, धर्म की आड़ में PAK के चहेते आतंकी की कहानी में क्यों कूदे ट्रूडो

राजनीति: निज्जर को कनाडा में मिली भरपूर मदद, धर्म की आड़ में PAK के चहेते आतंकी की कहानी में क्यों कूदे ट्रूडो



खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो।
– फोटो : Social Media

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खालिस्तानी आतंकी ‘हरदीप सिंह निज्जर’ की हत्या के मामले में भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव आ गया है। भारत सरकार ने निज्जर की आतंकी गतिविधियों के संबंध में समय-समय पर कनाडा प्रशासन को सूचित किया था, मगर कोई विदेशी मुल्क में उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। वह खुला घूमता रहा और धर्म की आड़ में खालिस्तान के आतंकी मंसूबों को पूरा करने में जुट गया। नवंबर 2014 में उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया गया, लेकिन उसके बाद भी कनाडा की सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। निज्जर, पाकिस्तानी आईएसआई का चहेता था। उसकी मदद से निज्जर ने पाकिस्तान का दौरा किया। वहां पर बीकेआई प्रमुख जगतार सिंह तारा के सहयोग से उसने हथियार चलाने और आईईडी तैयार करने की ट्रेनिंग ली। अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के अध्यक्ष एमएस बिट्टा ने भी कहा है कि पाकिस्तान की नापाक चाल का हिस्सा बन प्रधानमंत्री ट्रूडो ने ‘कनाडा-भारत’ के बीच दूरी बढ़ा दी है। 

निज्जर कैसे बना कनाडा का नागरिक

हरदीप सिंह निज्जर 1997 में ‘रवि शर्मा’ उपनाम से नकली पासपोर्ट का उपयोग करके कनाडा आया था। निज्जर ने वीजा की औपचारिकताएं पूरी करने के दौरान यह दावा किया था कि उसे भारत में उत्पीड़न का डर है, इसलिए वो यहां पर शरण चाहता है। उसने खुद को ‘एक विशेष सामाजिक समूह’ से जुड़ा हुआ बताया था। हालांकि वह समूह सिख उग्रवाद से जुड़े व्यक्तियों का था। केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है, निज्जर की इस मनगढ़ंत कहानी के आधार पर उसकी शरण प्रक्रिया का आवेदन, अस्वीकार कर दिया गया। जब उसका यह दावा खारिज हो गया तो उसने 11 दिन बाद ही दूसरा दांव चला। उसने एक महिला के साथ ‘विवाह’ समझौता किया। इसके माध्यम से उसने आप्रवासन का प्लान बनाया, लेकिन यहां पर भी उसका आवेदन, आव्रजन अधिकारियों द्वारा खारिज कर दिया गया। वजह, उसने अपने आवेदन में जिस महिला के नाम का जिक्र किया था, वह खुद 1997 में एक अलग पति के प्रायोजन पर कनाडा पहुंची थी। 

निज्जर के खिलाफ जारी हुआ था रेड कॉर्नर नोटिस

एक महिला के साथ ‘विवाह’ समझौते के माध्यम से कनाडा पहुंचने का उसका आवेदन जब अस्वीकृत हो गया तो उसने कनाडा की अदालतों में अपील की। हालांकि इस बीच वह खुद को कनाडाई नागरिक होने का दावा करता रहा। बाद में किन परिस्थितियों के चलते निज्जर को कनाडाई नागरिकता प्रदान की गई, उस बाबत कुछ स्पष्ट नहीं है। यहां बता दें कि नवंबर 2014 में उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया गया था। निज्जर के खिलाफ भारत में हत्या और अन्य आतंकवादी गतिविधियों के एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उन सभी मामलों का विवरण, कनाडाई सरकार के अधिकारियों के साथ साझा किया गया। भारत सरकार की तरफ से निज्जर के खिलाफ पुख्ता सबूत सौंपे गए। इन सबके बावजूद, उस पर कार्रवाई नहीं की गई। जब उसके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या बढ़ने लगी तो कनाडाई अधिकारियों ने उसे नो-फ्लाई सूची में डालने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की। खास बात है कि निज्जर के खिलाफ ‘आरसीएन’ पहले ही जारी हो चुका था। इतना कुछ होने पर भी निज्जर के खिलाफ कनाडा सरकार का सॉफ्ट कार्नर रहा। 








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