राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग 1910 में बनी थी। पहली बार आजाद भारत में 1949 में विद्युत नगर का रास्ता बंद करने के मामले में कलेक्ट्रेट में लोगों ने इनके खिलाफ प्रदर्शन किया था। उसके बाद लगातार प्रदर्शन, पथराव, गोलीबारी, मारपीट के मामले होते गए, पर प्रशासन एक बार भी कार्रवाई नहीं कर पाया। पूर्व विधायक विजय सिंह राणा ने 1984 में आंदोलन की शुरूआत की, पर सत्संग सभा ने कब्जे नहीं हटाए। पहली बार शनिवार को डीएम भानु चंद्र गोस्वामी के आदेश पर सत्संग सभा के छह गेट ध्वस्त किए गए।
1967 बीघा जमीन ब्रिटिश सरकार से मांगी
राधास्वामी सत्संग सभा ने दयालबाग में काॅलोनी के बाद जमीनों का सिलसिला 1942 से शुरू किया। तत्कालीन अध्यक्ष पीबी जीडी मेहता, राय बहादुर की अध्यक्षता वाली सभा के सचिव बाबूराम जादौन ने ब्रिटिश सरकार से कुल 1967 बीघा जमीन मांगी थी। इसमें मेडिकल काॅलेज, डेयरी फार्म, काॅलोनी का विस्तार, खेल मैदान, ईंट-भट्ठा आदि के लिए जमीनों के अधिग्रहण के प्रस्ताव दिए गए थे। खासपुर, घटवासन, लखनपुर, जगनपुर मुस्तकिल, सिकंदरपुर, मनोहरपुर, नगला पदी, मऊ में जमीनों को लेकर विवाद तभी से शुरू हुए। साल 1948 से 50 के बीच ग्रामीणों और राधास्वामी सत्संग सभा के बीच कई बार टकराव हुए और कलेक्ट्रेट पर सत्संग सभा के विरोध में प्रदर्शन, धरना भी चलते रहे। पहली बार सत्संग सभा के पदाधिकारियों पर प्रशासन एफआईआर करा पाया है।
ऐसे हुआ बवाल
राधास्वामी सत्संग सभा ने पहले पुलिस को कागजों में उलझाया और उसके बाद एकदम से घेराबंदी कर दी। सत्संगियों की यह रणनीति भी पुलिस पर भारी पड़ी। पुलिस जब टेनरी गेट तक बुलडोजर लेकर पहुंची तब सत्संगियों की संख्या कम थी। सत्संग सभा के पदाधिकारी कागज दिखाने लगे। इसमें समय गुजरता गया और सत्संगी अपनी संख्या बढ़ाते गए। पुलिस यह रणनीति समझ नहीं पाई और तीन तरफ से घिर गई।
शुरू हो गई कहासुनी
रविवार शाम करीब 4:30 बजे फोर्स टेनरी गेट दयालबाग पहुंचा। गेट बंद था और कुछ सत्संगी अंदर थे। कहासुनी होने लगी। सत्संग सभा के कुछ पदाधिकारी कागज लेकर आए और प्रशासनिक अधिकारियों को दिखाने लगे। आधे घंटे का समय इसमें गुजर गया। तब तक हजारों सत्संगी आ पहुंचे। करीब 6 बजे तक पोइया घाट और दयालबाग कॉलेज की तरफ से भी सत्संगी आ पहुंचे। फोर्स को तीन तरफ से घेर लिया।