सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : अमर उजाला।
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पिछले दिनों ससुराल में या ससुराल से लौट कर हत्या-आत्महत्या के कई मामले सामने आए। इन मामलों की तह में जाने से न सिर्फ पुलिस परेशान हुई बल्कि समाज और सोच में आई इस विसंगति से समाजशास्त्री और मनोचिकित्सक भी चिंतित हैं। इनकी मानें तो मीडिया में आईं शक-ओ-शुब्हा से से जन्मीं ऐसी खबरें भले ही लोगों को सामान्य लगे लेकिन इनके दूरगामी परिणाम गंभीर होंगे।
ऐसी घटनाएं कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस के दावे को पलीता तो लगाती हैं, पीड़ित परिवार के लोगों के दिलो-दिमाग पर गहरा जख्म देती हैं, जो लंबे समय तक नहीं भरता। प्रतिष्ठा को जो चोट पहुंचती है वो अलग। मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि लोग शक की वजह से ऐसे कदम उठा रहे हैं। समाजशास्त्री इसे एकल परिवार का परिणाम बता रहे हैं।
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