पुलिस ने अपनी जांच के दायरे से मंत्री पुत्र को दूर रखा है।
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विनय श्रीवास्तव हत्याकांड के पीछे मंत्री के बेटे विकास किशोर की बड़ी लापरवाही रही है। अगर विकास ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल(.32 बोर) सुरक्षित रखते तो घटना न होती। इसके लिए शस्त्र कानून के तहत उन पर एफआईआर होनी चाहिए लेकिन पुलिस की उन पर अब तक मेहरबानी की है। उन पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। बस लाइसेंस निरस्तीकरण कराने संबंधी कार्रवाई की बात ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर ने प्रेसवार्ता के दौरान कही।
जिस पिस्टल से विनय को गोली मारी गई उसका लाइसेंस विकास किशोर के नाम पर है। पुलिस की जांच में इसकी पुष्टि हो गई है। विकास घटनास्थल पर नहीं थे। लेकिन, पिस्टल बिस्तर पर तकिए के नीचे रखी थी। जब विनय का आरोपियों से झगड़ा हुआ आसानी से पिस्टल अंकित को मिल गई। इससे स्पष्ट है कि विकास ने लाइसेंसी पिस्टल सुरक्षित स्थान पर नहीं रखी थी। विधि विशेषज्ञों के मुताबिक शस्त्रधारक की जिम्मेदारी है कि वह लाइसेंसी असलहा सुरक्षित स्थान पर रखें। जिससे उसका दुरुपयोग न हो सके। जो आर्म्स एक्ट-30 के तहत आता है। ऐसे में इसी एक्ट के तहत शस्त्र धारक पर कार्रवाई होनी चाहिए। एक्ट के तहत छह माह से एक साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
जुआ अधिनियम के तहत भी होनी चाहिए कार्रवाई
प्रेसवार्ता कर ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर ने बताया कि जुआ ही विवाद का जड़ बना। विवाद बढ़ा और विनय को मार दिया। ऐसे में कानून के जानकारों का कहना है कि एफआईआर में जुआ अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होनी चाहिए। इसके अलावा एक मकसद से आरोपियों ने घटना कारित की इसके लिए दफा 34 और सुबूत मिटाने में धारा 201 लगाई जानी चाहिए। पुलिस इन धाराओं को आगे की विवेचना बढ़ा सकती है।
मैं नहीं करुंगा टिप्पणी
इन सब पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। अभी तक जो तथ्य मिले हैं, वो साझा किए हैं। विवेचना प्रचलित है। इस दौरान जो साक्ष्य आएंगे, उससे अवगत कराया जाएगा। अगर कोई इस तरह की लापरवाही करता है तो शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई से पहले नोटिस दी जाती है। जो भी विधिक कार्रवाई होनी चाहिए वह करेंगे। – आकाश कुलहरि, ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर क्राइम