रमेश बिधूडी
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भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी बेतुकी बयानबाजी से विपक्ष के निशाने पर आ गए गए हैं। उनके निलंबन के लिए विपक्षी दलों का दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बिधूड़ी के निलंबन का खतरा बढ़ गया है। संविधान के अनुच्छेद 105 (2) के तहत संसद में कही गई किसी भी बात को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष को असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने वाले सदस्य के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।
स्पीकर नियम 373 के तहत किसी सदस्य को बुरे आचरण के लिए निलंबित करने का निर्देश दे सकते हैं। इस साल मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के चार सांसदों अधीर रंजन चौधरी, संजय सिंह, राघव चड्ढा और डेरेक ओब्रायन को निलंबित किया गया था।
दरअसल, लोकसभा सचिवालय ने 2022 में ऐसे शब्दों की एक सूची जारी की थी, जिनका सदन में उपयोग करना असंसदीय माना जाता है। उस सूची के अनुसार, बेचारा, खालिस्तानी, खून की खेती, शकुनि, जयचंद, जुमलाजीवी, अनार्किस्ट, गद्दार, ठग, घड़ियाली आंसू, भ्रष्ट, काला दिन, कालाबाजारी, खरीद-फरोख्त, दंगा, दलाल, दादागिरी, दोहरा चरित्र, बॉबकट, लॉलीपॉप, विश्वासघात, बहरी सरकार, उचक्के, गुंडों की सरकार, चोर-चोर मौसेरे भाई, तड़ीपार, तलवे चाटना, तानाशाह जैसे शब्दों को असंसदीय माना गया है।
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएंगे एनसीपी-टीएमसी : सुले
एनसीपी की नेता सुप्रिया सुले ने शनिवार को कहा कि बिधूड़ी बार-बार इसी तरह का आचरण करते रहे हैं। दो दिन पहले उन्होंने एक सांसद के साथ धक्का-मुक्की की थी। उन्हें सिर्फ चेतावनी देने से काम नहीं चलने वाला है। उन्होंने बताया कि दानिश अली के लिए अभद्र भाषा के इस्तेमाल को लेकर उनकी और टीएमसी की तरफ से विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया जाएगा।