शोहदों ने ली जान: जीने का सहारा बनी बिटिया ने भी छोड़ा साथ, अब कौन देगा मुझे खाना; याद करते हुए फफक पड़े पिता

शोहदों ने ली जान: जीने का सहारा बनी बिटिया ने भी छोड़ा साथ, अब कौन देगा मुझे खाना; याद करते हुए फफक पड़े पिता



Ambedkar Nagar molestation case
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


अंबेडकरनगर के बरही एदिलपुर निवासी सभाजीत वर्मा बेटी की मौत से सदमे में हैं। आठ वर्ष पहले उनकी पत्नी का निधन हो गया था। इस सदमे से उबरने में बेटी उनका सहारा बनी। शोहदों की हरकत ने सभाजीत की बेटी को भी उनसे छीन लिया। 

रविवार को सभाजीत यह बताते हुए रो पड़े….कि बिटिया डॉक्टर बनना चाहती थी। खेती करके परिवार को पालने वाले सभाजीत के चार बच्चों में नैंसी तीसरे नंबर पर थी। सभाजीत की दो बेटियों की शादी हो चुकी है। सबसे छोटा बेटा लखनऊ में एक रिश्तेदार के साथ रहकर पढ़ाई करता है। 

घर में छोटी बेटी ही सभाजीत के साथ रहने के साथ उनके सुख-दुख का ख्याल रखती थी। दो दिन पहले हुए हादसे में बेटी की मौत के बाद सभाजीत घर में बिलकुल अकेले रह गए। उन्होंने कहा कि पत्नी के निधन के बाद बिटिया ही जीने का सहारा थी। अब वह भी साथ छोड़ गई। रविवार को सभाजीत को ढांढ़स बंधाने के लिए उनके घर पहुंचे लोग भी भावुक थे।

….तो कौन देगा पिता को खाना

नैंसी ने प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल पास किया तो उसके जीता ने आगे की अच्छी पढ़ाई के लिए अपने लखनऊ चलने के लिए कहा। इस पर वह बोली कि यहां पिता को खाना कौन देगा। नैंसी का छोटा भाई अपने जीजा के यहां रहकर पढ़ाई कर रहा है। सभाजीत ने बताया कि नैंसी सुबह छह बजे कोचिंग जाने से पहले खाना तैयार कर देती थी। 



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