संसद
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महिला आरक्षण बिल पर जिस तरह प्रतिक्रियाएं आईं हैं उससे आम राय से इसके पारित होने की उम्मीद जगी है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिलने की खबर का हम स्वागत करते हैं। हालांकि इस पर इतनी गोपनीयता बरतने के बदले संसद के विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में अच्छी चर्चा और आम राय बनाने की जरूरत थी।
रमेश ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने हैदराबाद में अपनी बैठक में इसी सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की मांग की थी। कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने खुद राज्यसभा में यह मांग उठाई है। खरगे ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में महिला जनप्रतिनिधियों की संख्या सिर्फ 14 फीसदी है जबकि विधानसभा में यह संख्या महज 10 फीसदी है। ऐसे में विधायिका में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा, हम इसका समर्थन करेंगे। जदयू सांसद रामनाथ ठाकुर ने कहा, हम मंगलवार को नए संसद भवन में जाएंगे, क्यों नहीं विधेयक वहां पेश किया जाए और उसे पूर्ण समर्थन से पारित कराया जाए। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय ने भी कहा कि नए संसद भवन में सरकार को बिना किसी देरी के विधेयक पेश करना चाहिए।
सपा का समर्थन, मगर पुराने रुख पर कायम
सपा ने भी समर्थन किया और कहा इस पर वह अपने पुराने रुख पर कायम है। सपा सांसद प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने कहा, वह इसमें ओबीसी, एससी और एसटी का आरक्षण चाहते हैं। जेएमएम की सांसद महुआ मांझी ने भी समर्थन करने की बात कही।
आम सहमति से पारित होगा…
भाजपा सहयोगी और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, हम सरकार से इस संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की अपील करते हैं। हमें उम्मीद है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश होने पर आम सहमति से पारित हो जाएगा।
महिलाएं बराबर मौका पाने की हकदार
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, महिलाएं सिर्फ ईवीएम का बटन दबाने नहीं बल्कि पुरषों की तरह बराबर का अवसर पाने की हकदार हैं। संसद का विशेष सत्र आज से शुरू हुआ है। हम स्थानीय निकायों की तरह लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की मांग करते हैं।
हर चुनाव में रोटेशन का होगा इस्तेमाल
बिल के पुराने स्वरूप में एक तिहाई आरक्षण के लिए हर चुनाव में इतनी ही सीटों का चुनाव रोटेशन के आधार पर तय करने का प्रावधान है। मतलब एक बार आरक्षित सीटें दूसरी बार महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं होंगी। पुराने बिल में लगातार तीन बार एक तिहाई सीटों के आरक्षण के बाद महिला आरक्षण खत्म करने का प्रावधान था। इस बार पुराने बिल में किस तरह के बदलाव किए गए हैं, इसकी जानकारी नहीं है।