इलाहाबाद हाईकोर्ट
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि 21वीं सदी में भारत चंद्रयान भेज रहा है और उपनिदेशक चकबंदी (डीडीसी) जौनपुर हस्तलेख में ऐसा आदेश पारित कर रहे जो पढ़ा ही नहीं जा सकता। कोर्ट ने डीडीसी को तीन हफ्ते में पठनीय आदेश, स्वयं के हस्तलेख या कंप्यूटर टाइप में पारित करने और प्रति कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने याचिका के साथ दाखिल डीडीसी के अपठनीय आदेश की स्कैन कॉपी भी संलग्न कर इस आदेश को उचित कार्रवाई हेतु उत्तर प्रदेश चकबंदी आयुक्त लखनऊ व डीडीसी जौनपुर को प्रेषित करने का भी आदेश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने शमशुद्दीन की याचिका पर दिया है।
कोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान डीडीसी के आदेश की प्रमाणित प्रति ऐसी लगी मिली जिसे पढ़ा नहीं जा सका। 30 पृष्ठ का आदेश दोनों पक्षों के वकील भी सही ढंग से नहीं पढ़ सके। कोर्ट ने कहा कंप्यूटर टाइप या वायस रिकार्डिंग टाइप का विकल्प होने के बावजूद अपठनीय हस्तलेख में छोटा सा आदेश दिया गया है, जिसे पढ़ नहीं सकते। इस पर कोर्ट ने आदेश पारित कर याची को निशुल्क कॉपी देने तथा कोर्ट में पेश करने को कहा है।